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Earthquake In Delhi-NCR : रोहतक में फिर लगा भूकंप का झटका, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.8

earthquake in delhi ncr, earthquake in rohatak, earthquake in haryana , earthquake news, rohatak news, haryana news : दिल्ली एनसीआर के आसपास के इलाके में एक बार फिर भूकंप का झटका लगा है. बताया जा रहा है कि भूकंप केंद्र रोहतक था. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई है. यह भूकंप का झटका दोपहर 12.58 मिनट पर‌ लगा है.

By AvinishKumar Mishra | June 24, 2020 3:03 PM

चंडीगढ़ : दिल्ली एनसीआर के आसपास के इलाके में एक बार फिर भूकंप का झटका लगा है. बताया जा रहा है कि भूकंप केंद्र रोहतक था. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई है. यह भूकंप का झटका दोपहर 12.58 मिनट पर‌ लगा है.

एएनआई समाचार एजेंसी ने नेशनल सिस्मोलॉजी सेंटर के हवाले से बताया कि भूकंप अपराह्न एक बजे के आसपास आया और इसका केंद्र धरती के पांच किलोमीटर अंदर था. दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 12 अप्रैल से अब तक 18 बार भूकंप आ चुका है. इनमें से आठ बार भूकंप रोहतक में आया.

सप्ताह में तीसरी बार लगा झटका– दिल्ली-एनसीआर के करीब पड़ने वाले रोहतक में इस हफ्ते तीसरी बार झटक लगा है. गुरूवार को भी रोहतक से 15 किमी दूर ही भूकंप का झटका महसूस किया गया. हालांकि कल भी तीव्रता कम ही थी. हालांकि पहले दौर बार भूकंप की तीव्रता आज से अधिक थी.

एक महीने में तकरीबन 18 बार अधिक हिली दिल्ली-एनसीआर- बता दें कि अब तक दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पिछले एक महीने में तकरीबन 18 बार भूकंप आ चुका है, जिसमें अधिकांश समय दिल्ली के आसपास इलाके में आया है. कोरोना महामारी के दौर में भूकंप आने से लोग और अधिक डर गये हैं. हालांकि अभी तक इन सभी भूकंप में कोई बड़े स्तर पर जान-माल की नुकसान नहीं हुई है. अब तक जो भी भूकंप का झटका लगा है, वो कम तीव्रता वाला ही रहा है.p

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क्यों आता है भूकंप- धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं. ये प्लेट्स जिन जगहों पर ज्यादा टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. ज्यादा दबाव बनने लगता है तो ये प्लेट्स टूट जाती है, जिसके बाद एनर्जी बाहर आती है. इसी के बाद भूकंप आता है. भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप के झटके महसूस होते रहते है. टेक्टॉनिक प्लेटों में टक्कर के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में अक्सर भूकंप आते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि भूजल में कमी से टेक्टॉनिक प्लेटों की गति में धीमी हुई है.

Posted By : Avinish Kumar Mishra

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