Earthquake News : लद्दाख-कारगिल में लगा भूकंप का झटका, रिक्टर स्केल पर 4.4 की तीव्रता

Earthquake in India, ladakh and kargil, bhukamp 2020 : कारगिल और लद्दाख के क्षेत्र में आज सुबह भूकंप का झटका महसूस किया गया. भूकंप का झटका सुबह 5.47 मिनट के आसपास महसूस किया गया. भूकंप आने के बाद लोग अपने घरों से बासर निकल गए. हालांकि सुबह के वक्त होने के कारण कई लोगों को भूंकप के बारे में जानकारी भी नहीं हो पाई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2020 7:16 AM
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Earthquake News : कारगिल और लद्दाख के क्षेत्र में आज सुबह भूकंप का झटका महसूस किया गया. भूकंप का झटका सुबह 5.47 मिनट के आसपास महसूस किया गया. भूकंप आने के बाद लोग अपने घरों से बासर निकल गए. हालांकि सुबह के वक्त होने के कारण कई लोगों को भूंकप के बारे में जानकारी भी नहीं हो पाई.

समाचार एजेंसी एएनआई ने नेशन सिस्मोलॉजी के हवाले से बताया कि लद्दाख और कारगिल के उत्तर में 4.4 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया. भूकंप का यह झटका इस सप्ताह में दूसरी बार महसूस किया गया. बीते महीने 31 अगस्त को ही लद्दाख एरिया में भूकंप का झटका लगा था.

अंडमान में भी लगा झटका- वहीं आज अंडमान-निकोबार के दिगलीपुर में सुबह 3 बजे 4.0 की तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप तड़के आया इसलिए लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई. हालांकि अंडमान निकोबार में पहले भी भूकंप आ चुका है.

क्यों आता है भूकंप- बता दें कि भूकंप आने क सबसे बड़ा कारण धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. ये प्लेट्स जिन जगहों पर ज्यादा टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. ज्यादा दबाव बनने लगता है तो प्लेट्स टूट जाती है जिससे एनर्जी बाहर आती है इसी के बाद भूकंप आता है.

वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप के झटके महसूस होते रहते है. जिसका सबसे बड़ा कारण टेक्टॉनिक प्लेट है. टेक्टॉनिक प्लेटों में टक्कर के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में अक्सर भूकंप आते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि भूजल में कमी से टेक्टॉनिक प्लेटों की गति में धीमी हुई है.

भूकंप की इतिहास की बात करे तो भूकंप का इतिहास बताता है कि दिल्ली-एनसीआर में 1720 में दिल्ली में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया था. मथुरा में सन 1803 में 6.8 तीव्रता, सन 1842 में मथुरा के पास 5.5 तीव्रता, बुलंदशहर के पास 1956 में 6.7 तीव्रता, फरीदाबाद में 1960 में 6 तीव्रता और मुरादाबाद के पास 1966 में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था. दिल्ली-एनसीआर की पहचान दूसरे सर्वाधिक भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्र के रूप में की गयी है.

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Posted By : Avinish Kumar Mishra

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