अकाली दल में भूचाल, सुखबीर बादल का इस्तीफा, पुनर्गठन पर मंथन
Sukhbir Badal Resign: अकाली दल के नेताओं ने हाल ही में अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात की थी. इस बैठक में जत्थेदार ने कहा कि पार्टी को अपने मूल उसूलों पर फिर से खड़ा करना चाहिए.
Sukhbir Badal Resign: क्या शिरोमणि अकाली दल (स.अ.द.) का भविष्य बादल परिवार के बिना लिखा जाएगा? यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है क्योंकि पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. शुक्रवार को होने वाली अकाली दल की कार्यसमिति की बैठक में इस पर चर्चा होगी, साथ ही पार्टी के पुनर्गठन और नए नेतृत्व के बारे में भी विचार किया जाएगा. दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि यह महत्वपूर्ण बैठक चंडीगढ़ स्थित पार्टी कार्यालय में 10 जनवरी को दोपहर 3 बजे होगी.
अकाली दल के नेताओं ने हाल ही में अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात की थी. इस बैठक में जत्थेदार ने कहा कि पार्टी को अपने मूल उसूलों पर फिर से खड़ा करना चाहिए. इससे पहले, 2 दिसंबर को, अकाल तख्त के शीर्ष पांच प्रतिनिधियों ने अकाली दल के पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर दिया था. उल्लेखनीय है कि अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल और उनके कुछ सहयोगियों को बेअदबी के मामलों में कार्रवाई न करने के कारण तनखइया घोषित किया था. इस फैसले के तहत उन्हें गुरुद्वारों में सेवा करने की सजा सुनाई गई थी, जिसे बादल ने विनम्रता से स्वीकार किया और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में प्रहरी के रूप में काम भी किया.
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उनके सेवा के दौरान उन पर हमला भी हुआ था, लेकिन वह बाल-बाल बच गए थे. यह हमला उस समय हुआ जब वह मंदिर परिसर में प्रहरी के रूप में तैनात थे. अकाली दल के शासनकाल (2007-2017) में गुरमीत राम रहीम सिंह से जुड़े बेअदबी के मामलों में ढिलाई बरतने का आरोप उन पर लगा था. इन मामलों में गोलीबारी भी हुई थी, जिसमें दो लोगों की जान गई थी. इसी दौरान भाजपा के साथ गठबंधन में अकाली दल ने पंजाब में सरकार चलाई थी.
हालांकि, सुखबीर बादल ने सोमवार को अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि वह दोषी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रतिद्वंद्वियों ने फंसाया है. वहीं, अकाली दल के बागी गुट ने सुखबीर बादल के नेतृत्व को अस्वीकार करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. बागी गुट के नेता गुरप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि वे सुखबीर सिंह बादल को पार्टी का प्रतिनिधि नहीं मानते.
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इस घटनाक्रम ने बादल परिवार को दशकों में सबसे कठिन राजनीतिक दौर में ला खड़ा किया है. पार्टी के भीतर और बाहर, उनके नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, और इस संकट ने शिरोमणि अकाली दल के भविष्य पर अनिश्चितता का बादल मंडरा दिया है.