नरेंद्र मोदी की सरकार इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि अगर उन्हें देश का विकास करना है तो महिलाओं का विकास करना होगा. यही वजह है कि उन्होंने अपने लोककल्याणकारी योजनाओं की सूची में महिलाओं से संबंधित योजनाओं को खास जगह दी है. आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया, उसमें भी इस बात की झलक साफ देखी जा सकती है कि मोदी सरकार ने किस तरह महिलाओं को केंद्र में रखकर वर्ष 2022-23 में काम किया. इस आर्थिक सर्वेक्षण से इस बात की पुष्टि भी हो जाती है कि आने वाले बजट में भी सरकार महिलाओं को प्राथमिकता सूची में रखेगी.
आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में यह बताया गया है कि सरकार ने किस तरह महिलाओं के विकास के काम किया और क्यों महिलाओं को मोदी सरकार के साथ चलना चाहिए. महिलाओं को सशक्त करके मोदी सरकार एक सामाजिक बदलाव देश में लाना चाहती है, जिसके जरिये एक मजबूत देश का निर्माण हो सके.
2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आयी. सरकार में आते ही मोदी सरकार ने यह कोशिश की कि महिलाओं को अधिकार मिले ताकि उनकी इच्छाएं दबी ना रहें और वे अपने सपनों को पूरा कर सकें. पिछले आठ साल में नरेंद्र मोदी सरकार ने लगातार महिलाओं को सशक्त किया है. उदाहरण स्वरूप देश में बड़े पैमाने पर महिला पुलिस में बढ़ोतरी की गयी. उसके बाद 2018 में पीएम मोदी ने ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा की और सशस्त्र बलों में महिलाओं के स्थायी कमीशन की अनुमति प्रदान की. इसके साथ ही खेल और अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं को प्रोत्साहित किया गया और परिणाम सबके सामने है.
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार यह मोदी सरकार की सफलता है कि पहली बार देश में लिंगानुपात में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हुई है और प्रति एक हजार पुरुष पर 1020 महिलाएं हैं, जो 2020-21 में 937 था. महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश छह महीने किया गया. पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 3.11 महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच हुई, जबकि 23 करोड़ महिलाओं को मुद्रा लोन दिया गया है. नौ करोड़ धुआंरहित किचन महिलाओं को उपलब्ध कराया गया. पीएम ग्रामीण आवास के दो करोड़ लाभुकों में से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं. वहीं सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ 2.73 करोड़ बच्चियों को मिल रहा है. 11 करोड़ शौचालय बनाये गये ताकि महिलाओं को शौच के लिए बाहर ना जाना पड़े और उनके स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को कोई हानि ना पहुंचे.
जल-जीवन मिशन के तहत 6 करोड़ लोगों के घरों तक नल से पानी पहुंचाया गया, ताकि महिलाओं को मीलों चलकर पानी ना लाना पड़े. उज्ज्वला योजना के तहत नौ करोड़ महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन मुहैया कराई गयी. वहीं 2.6 करोड़ लोगों तक सौभाग्य स्कीम के तहत बिजली का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया.
आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात कही गयी है कि पीएम मोदी के महिला सशक्तीकरण के उपायों को समर्थन इसलिए दिया जाना चाहिए क्योंकि वे महिलाओं को वो अधिकार भी दिलाना चाहते हैं जो उन्हें ना सिर्फ संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार को दिलायेगा, बल्कि महिलाओं को निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करेगा.
– विवाह की आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव. ताकि महिलाओं को उचित शिक्षा और रोजगार का अवसर मिले.
– ट्रिपल के खिलाफ कानून. यह कानून मुस्लिम महिलाओं की रक्षा करता है और उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाता है.
– मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना ताकि कार्यक्षेत्र और जीवन में संतुलन कायम हो.
-अनुच्छेद 35ए को सरकार ने जम्मू-कश्मीर से हटाया. इस अनुच्छेद की वजह से वहां की महिलाएं अगर राज्य से बाहर के किसी शख्स से शादी करती थीं, तो उसे उन विशेषाधिकारों से वंचित होना पड़ता था जो जम्मू-कश्मीर के लोगों को प्राप्त थी, जबकि पुरुषों के मामले में ऐसा नहीं था. अगर सूबे का कोई पुरुष किसी अन्य राज्य की महिला से शादी करता था तब भी उसके विशेषाधिकार खत्म नहीं होते थे.