नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शनिवार को दिल्ली के एक स्पेशल कोर्ट में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई पदाधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है. ईडी की ओर से दायर की गई चार्जशीट में पीएफआई दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद, पीएफआई दिल्ली के महासचिव मोहम्मद इलियास और पीएफआई दिल्ली के कार्यालय सचिव अब्दुल मुकीत सहित आरोपी सदस्यों के नाम हैं. ईडी के अनुसार, आरोपी व्यक्तियों ने खुलासा किया है कि उन्होंने पीएफआई की ओर से फर्जी तरीके से नकदी चंदा इकट्ठा करने, संदेहास्पद स्रोत से पीएफआई की बेहिसाब नकदी को बेदाग और वैध संपत्ति का दावा करने और उसे पेश करने में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सक्रिय भूमिका निभाई है.
प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नवीन कुमार मट्टा और एडवोकेट मोहम्मद फैजान खान के साथ दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दायर किया. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी की ओर से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 44 आर/डब्ल्यू और धारा 45 के तहत ताजा शिकायत पीएमएल अधिनियम की धारा 3 आर/डब्ल्यू और धारा 70 के तहत अपराध करने के लिए चार्जशीट दायर की गई है. इसे चार्जशीट के बाद आगामी 21 नवंबर को विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक की अदालत में सुनवाई होने की संभावना है.
अपनी चार्जशीट में ईडी ने यह दावा भी किया है कि पीएमएलए जांच से पता चला है कि पिछले कई वर्षों में पीएफआई के पदाधिकारियों द्वारा रची गई एक आपराधिक साजिश के तहत देश और विदेश से पीएफआई और संबंधित संस्थाओं द्वारा संदिग्ध धन जुटाया गया है और इसे गुप्त रूप से ट्रांसफर किया गया है. उसने अदालत को बताया कि भारत में इस धन को गुप्त तरीके से और वर्षों से उनके बैंक खातों में जमा किया गया. ये फंड आपराधिक साजिश के अनुसूचित अपराध के एक हिस्से के रूप में जुटाए गए हैं. पीएफआई द्वारा जुटाए गए या एकत्र किए गए फंड इस प्रकार अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं हैं, जिसे उन्होंने अपने कई बैंक खातों के साथ-साथ उनके सदस्य या सहानुभूति रखने वाले लोगों के माध्यम से ट्रांसफर, जमा और एकत्र किया गया. इस प्रकार पीएफआई और इससे संबंधित संस्थाएं वर्षों से धन शोधन के निरंतर अपराध में शामिल हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले आरोप लगाया था कि परवेज अहमद 2018 से एक आपराधिक साजिश का हिस्सा था. ईडी ने कहा कि पीएफआई के हमदर्दों से मिलने के बाद योगदानकर्ताओं के रूप में पेश किए गए व्यक्तियों के बयानों से पता चला कि ये लेनदेन फर्जी थे. इसलिए, संदिग्ध स्रोतों से नकदी और कुछ नहीं बल्कि आपराधिक साजिश से उत्पन्न अपराध की आय थी.
ईडी ने आगे कहा कि इस मामले में परवेल अहमद का असहयोगी और टालमटोल करने वाला रवैया, तथाकथित दाताओं के बयान और तलाशी के दौरान विभिन्न स्थानों से जब्त किए गए सबूत, जांच में शामिल होने से बचने के उनके जानबूझकर किए गए प्रयासों के साथ, उसकी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में शामिल होने की ओर इशारा करता है. यह स्पष्ट है कि परवेज़ अहमद ने जानबूझकर सच्चे तथ्यों का खुलासा नहीं किया और पीएमएलए, 2002 की धारा 50 के तहत अपने बयानों की रिकॉर्डिंग के दौरान जानबूझकर झूठ बोला और जांच अधिकारी को गुमराह करने की कोशिश की.
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ईडी ने पहले कहा था कि 2018 में दर्ज एक मामले में पीएफआई के खिलाफ पीएमएलए जांच से पता चला है कि पीएफआई और संबंधित संस्थाओं के खातों में वर्षों से 120 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए गए हैं और इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा नकद में जमा किया गया है. ईडी के अनुसार, उसे इस साल 12 जुलाई को बिहार की राजधानी पटना में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान अशांति पैदा करने के इरादे से एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के लिए पीएफआई के खिलाफ इनपुट मिले. इसके अलावा, जांच के दौरान एजेंसियों को पीएफआई के कई बैंक खातों का विवरण मिला है.