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10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा sanitary pads, मिलेगी ब्रेक लेने की इजाजत

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि मासिक धर्म से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए छात्राओं को बोर्ड परीक्षाओं के दौरान ब्रेक लेने की इजाजत भी दी जाएगी.

By Rajneesh Anand | June 13, 2024 6:16 PM

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों को जारी परामर्श में कहा कि कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के उपाय सुनिश्चित किए जाएं, ताकि किशोरियों को परेशानी ना हो और उनका स्वास्थ्य बेहतर रहे. अपने परामर्श में मंत्रालय ने 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान सभी परीक्षा केंद्रों पर मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जाने का निर्देश भी दिया है. गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने और किशोरियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने यह निर्णय लिया है. मासिक धर्म से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए छात्राओं को कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान ब्रेक लेने की इजाजत भी दी जाएगी.

सीबीएसई और केवी को दिया गया परामर्श

पीटीआई न्यूज के अनुसार शिक्षा मंत्रालय ने इस बात पर गौर किया कि लड़कियों की बेहतरी के लिए मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन जरूरी है, क्योंकि अगर यह प्रबंधन सही तरीके से नहीं होता है तो उनके शिक्षा पर असर डालता है. मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी स्कूलों, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) और नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के लिए परामर्श जारी किया है. साथ ही मंत्रालय ने स्कूलों को यह भी निर्देश दिया है कि वे मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू करें.

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ड्राॅप आउट रोकने के लिए सस्ते दर पर दिया जाता है सैनिटरी पैड

ज्ञात हो कि किशोरियों के लिए सभी स्कूलों में मासिक धर्म से संबंधित जानकारी देने का प्रावधान किया गया है और उन्हें सैनिटरी पैड भी उपलब्ध कराया जाता है. सरकारें आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए भी बहुत ही कम दर पर सैनिटरी पैड किशोरियों को उपलब्ध कराती है. भीड़भाड़ वाली जगहों मसलन, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और कई जगहों पर बाजारों में भी सैनिटरी पैड वेडिंग मशीन भी लगाए गए हैं. स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने का उद्देश्य ड्राॅप आउट की दर को कम करना है.

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