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गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार मुस्लिम देश के राष्ट्रपति को बनाया गया चीफ गेस्ट, जानिए कौन है अल-सीसी

Republic Day Parade 2023: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे. अपनी यात्रा के दौरान वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे.

Republic Day Parade 2023: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी दिल्ली पहुंच गए है. वे मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे. ये पहली बार है, जब मिस्र के राष्ट्रपति भारत को गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट बनाया गया है. अपनी यात्रा के दौरान वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे.

2014 में बने थे मिस्र के राष्ट्रपति

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी कट्टर मुसलमान माने जाते थे और बचपन से ही उन्हें सेना से लगाव था. 70 के दशक में वे सेना में शामिल भी हो गए. कई वर्षों तक सेना में अपनी सेवाएं देने के बाद 2014 में वो राष्ट्रपति बने थे. राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनका सेना से लगाव कम नहीं हुआ और देश के बाकी क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने के बजाए वो सेना को ही मजबूत बनाने में लगे रहे. बताते चलें कि मिस्र इस समय आर्थिक संकट से गुजर रहा है और कई अरब देश भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. हाल ही में भारत ने जब गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी, तब भी मिस्र को कई टन गेहूं की खेप भेजी गई थी.

मिस्र की सत्ता पर अल-सीसी की पकड़ बेहद मजबूत

राष्ट्रपति बनने से पहले सीसी मिस्र के आर्मी चीफ थे. जुलाई, 2013 में उन्होंने राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सत्ता से हटा दिया था. इसके एक साल बाद वो खुद मिस्र के राष्ट्रपति बन गए. मिस्र में एक प्रभावशाली नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले अल-सीसी ने देश में राजनीतिक स्थिरता पैदा की है. मिस्र की सत्ता पर उनकी पकड़ को बेहद मजबूत बताया जाता है.

बचपन से ही सेना की तरफ था सीसी का झुकाव

सीसी का जन्म 1954 में काहिरा के गमलेया इलाके में हुआ था. उनका परिवार इस्लाम को मानने वाला एक धार्मिक परिवार था. उनके पिता फर्नीचर का काम करते थे और परिवार चलाने लायक कमा लेते थे. सीसी पढ़ने में बेहद अच्छे थे और बचपन से ही उनका झुकाव सेना की तरफ था. 1977 में उन्होंने मिस्र की सैन्य अकादमी से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद पैदल सेना में भर्ती हो गए. इसी दौरान, उन्होंने एक मशीनीकृत डिवीजन की कमान भी संभाली. वह सऊदी अरब में राजनयिक सैन्य चीफ-ऑफ-स्टाफ नियुक्त किए गए और फिर मिस्र के उत्तरी मिलिट्री जोन के कमांडर के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं. उनके बेहतर काम को देखते हुए जल्द ही उन्हें मिस्र की मिलिट्री इंटेलिजेंस का प्रमुख बना दिया गया. इस दौरान भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. ब्रिटेन के स्टाफ कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई की और साल 2005 में पेन्सिलवेनिया के आर्मी कॉलेज से उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की.

सीसी पर लगाए गए ये आरोप

बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से मिस्र के लोगों में सीसी के प्रति काफी गुस्सा है. खाने-पीने की चीजों को खरीदने में भी लोगों को कटौती करनी पड़ रही है. लेकिन, लोग सीसी की सरकार के खिलाफ भारी संख्या में प्रदर्शन नहीं कर सकते. साल 2013 में ही एक कानून बनाकर अनाधिकृत प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि, साल 2016 में जब सीसी ने लाल सागर के दो द्वीपों की संप्रभुता सऊदी अरब को दी थी तब लोग कानून का भय छोड़ सड़कों पर आ गए थे. सीसी की सरकार ने प्रदर्शनों को बड़ी सख्ती से दबा दिया. सीसी पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, जिससे वो इनकार करते हैं.

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