महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एकनाथ खडसे मनी लॉड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुए. इस पेशी के बाद उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत की और जांच को लेकर सवाल खड़ा करते हुए कहा यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, मैं एजेंसी के साथ पूरी तरह सहयोग के लिए तैयार हूं, आज भी मैं इसके लिए आया हूं. यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. पूरा महाराष्ट्र तथा देश इसे देख रहा है. इस मामले में पांच बार जांच हो चुकी है. वे और कितनी बार जांच करेंगे?.जांच एजेंसी ने इससे पहले उनके दामाद को भी गिरफ्तार किया था. उनके दामाद गिरीश चौधरी से भी पूछताछ की गयी. इसके बाद बयान दर्ज कराने के लिए सम्मन भेजा गया था.
ध्यान रहे कि मामला साल 2016 में एक सरकारी जमीन के सौदे से जुड़ा है. खडसे (68) ने पिछले साल महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी थी.
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ईडी ने इस साल की शुरुआत में मामले में उनसे पूछताछ की थी. ईडी का मामला 2017 में खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी और चौधरी के खिलाफ दर्ज, पुणे पुलिस के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) की प्राथमिकी से सामने आया. एजेंसी ने दावा किया कि भूमि खरीद में की गई कथित अनियमितता से राजकोष को 61.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
ईडी के मुताबिक ‘‘ भूमि बिक्री दस्तावेज में फर्जीवाड़ा किया गया.” ईडी के मुताबिक बेची गई जमीन पर सरकारी एमआईडीसी का स्वामित्व था. यह जमीन पुणे जिले के उपनगर भोसारी के हावेली तालुका में स्थित है. भूमि की सर्वेक्षण संख्या 52/2ए/2 है. एजेंसी ने बुधवार को एक बयान जारी कर चौधरी की इस पूरे सौदे में कथित भूमिका की जानकारी दी. ईडी के मुताबिक, अन्य लोगों के साथ मिलकर चौधरी ने जानबूझकर भूमि दस्तावेज में नाम जुड़वाया जबकि यह जमीन महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) की थी .
नाम इसलिए जुड़वाया गया ताकि वास्तविक कीमत से 2.5 से तीन गुना अधिक मुआवजा प्राप्त किया जा सके. एमआईडीसी की जमीन 3.75 करोड़ रुपये में खरीदी गई जबकि बाजार में उसकी कीमत 31 करोड़ रुपये थी. जांच के दौरान आरोपी ने भूमि खरीदने के लिए धन के स्रोत के बारे में दावा किया कि कुछ कंपनियों से ऋण के एवज में उसे यह मिला है. ईडी के मुताबिक , जांच में खुलासा हुआ है कि ये पैसे फर्जी कंपनियों के जरिये मिले हैं, वे काम नहीं करती हैं या सरकारी दस्तावेजों से उनका नाम हटा दिया गया है.
खडसे ने इसी भूमि सौदे और कुछ अन्य मुद्दों के संबंध में आरोपों का सामना करने के बाद 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
उन पर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था. उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के साथ ही आयकर विभाग ने उन्हें मामले में क्लीन चिट दे दी थी .