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Explainer: 21 साल बाद कांग्रेस में होगा गैर-गांधी परिवार का अध्यक्ष, सीताराम केसरी से किया था बुरा बर्ताव

महज 13 साल की उम्र में स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लेने वाले सीताराम केसरी 1930 से 1942 के बीच कई बार जेल गए. 1973 में उन्हें कांग्रेस की बिहार इकाई का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद वे 1980 में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने. 1967 में सीताराम केसरी कटिहार लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित किए गए.

नई दिल्ली : कांग्रेस में गैर-गांधी परिवार का अध्यक्ष बनाने के लिए 21 साल बाद चुनाव कराया जा रहा है. इससे पहले वर्ष 1996 में बिहार से कांग्रेस के नेता सीताराम केसरी को कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था, जो इस पद पर दो साल रहने के बाद 1998 में हटा दिए गए थे. मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए पार्टी में तोड़-तिकड़म खूब किए गए थे. कहा तो यहां तक जाता है कि कांग्रेस के पद से हटाने के लिए सीताराम केसरी को बेइज्जत करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी गई थी. यहां तक कि उन्हें बाथरूम में बंद करके धोती तक खोल दी गई थी.

13 साल की उम्र में स्वाधीनता आंदोलन में कूदे थे सीताराम

बता दें कि बिहार कांग्रेस कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीताराम केसरी वर्ष 1996 से 1998 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे. महज 13 साल की उम्र में स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लेने वाले सीताराम केसरी 1930 से 1942 के बीच कई बार जेल गए. वर्ष 1973 में उन्हें कांग्रेस की बिहार इकाई का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद वे वर्ष 1980 में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने. वर्ष 1967 में सीताराम केसरी कटिहार लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित किए गए. इसके बाद केसरी 1971 से 2000 तक पांच बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए. गांधीवादी विचारक सीताराम केसरी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री भी रहे.

चाटुकारों ने बाथरू में बंद कर खोल दी थी धोती

मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो वर्ष 1996 में बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीताराम केसरी अध्यक्ष बने, तो गांधी परिवार और उनके समर्थकों को यह रास नहीं आया. उनके अध्यक्ष बनने के बाद से ही कांग्रेस परिवार की गणेश परिक्रमा करने वाले चाटुकार नेताओं ने तोड़-तिकड़म करना शुरू कर दिया. राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा होती है कि लंबे राजनीतिक अनुभव रखने वाले सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए गांधी परिवार के चाटुकार नेताओं ने उन्हें बेइज्जत करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी. यहां तक कि सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के लिए सीताराम केसरी को बाथरूम में बंद करके धोती तक खोल दी गई.

कांग्रेस में कब-कब बने गैर-गांधी परिवार के अध्यक्ष

बता दें कि भारत के आजाद होने के बाद से ही कांग्रेस पर नेहरू-गांधी परिवार का एक प्रकार से वर्चस्व स्थापित हो गया. कांग्रेस की स्थिति देखकर 1948 में हत्या किए जाने के बाद महात्मा गांधी ने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाना चाहिए. जहां तक कांग्रेस में गैर-गांधी परिवार से अध्यक्ष बनने की बात है, तो वर्ष 1960-63 में नीलम संजीव रेड्डी गैर-गांधी परिवार से अध्यक्ष बनाए गए थे.

इसके बाद 1964-67 में के. कामराज और वर्ष 1968-69 में एस. निजालिंगप्पा गैर-गांधी परिवार के अध्यक्ष बनाए गए थे. इनके बाद वर्ष 1970-71 के बीच भारतीय राजनीति में ‘बाबूजी’ के नाम से मशहूर बिहार के दिग्गज कांग्रेसी नेता जगजीवन राम कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए. बाबू जगजीवन राम के बाद वर्ष 972-74 शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए. हालांकि, वे देश के राष्ट्रपति भी बने. बाबू जगजीवन राम के बाद असम के देवकांत बरूआ को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, जो आपातकाल के समय कांग्रेस के अध्यक्ष थे.

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कब होगा कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 24 सितंबर से नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया आरंभ होगी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर होगी. एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को चुनाव होगा. मतदान सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक होगा और 19 अक्टूबर को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने के लिए 9000 से अधिक प्रतिनिधि (डेलीगेट्स) मतदान कर सकेंगे.

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