Electoral Bond: 1368 करोड़ रुपये का दान, जानें कौन हैं ‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन

Electoral Bond : सैंटियागो मार्टिन के Charitable Trust की वेबसाइट में जो बताया गया है उसके अनुसार, वे एक मजदूर का जीवन यापन कर चुके हैं. जानें उनके बारे में खास बातें

By Amitabh Kumar | March 18, 2024 4:36 PM
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Electoral Bond : पिछले कुछ दिनों से चुनावी बॉन्ड के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लोग एकत्रित करना चाह रहे थे. इस बीच सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई, SBI) द्वारा विवरण प्रस्तुत करने के कुछ दिनों बाद चुनाव आयोग ने 14 मार्च को राजनीतिक चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली संस्थाओं की सूची जारी की है जिसमें कई नाम हैं जिसकी चर्चा लोग कर रहे हैं. सबसे अधिक दान फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा किया गया. इस कंपनी को सैंटियागो मार्टिन चलाते हैं. इन्हें आमतौर पर ‘लॉटरी किंग’ के रूप में जाना जाता है. आइए जानते हैं उनके बारे में खास बातें…

सैंटियागो मार्टिन आखिर हैं कौन?

सैंटियागो मार्टिन के Charitable Trust की वेबसाइट में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, मार्टिन ने अपना करियर म्यांमार के यांगून में एक मजदूर के रूप में शुरू किया था. साल 1988 में वह भारत लौटे और तमिलनाडु में लॉटरी का बिजनेस चालू किया. उन्होंने बाद में पूर्वोत्तर के साथ-साथ कर्नाटक और केरल में कारोबार का विस्तार किया. इसके बाद उन्होंने भूटान और नेपाल में कारोबार को फैलाया. बाद में उन्होंने दूसरे कारोबार में किस्मत आजमाया. वे कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट, टेक्सटाइल और हॉस्पिटैलिटी का कारोबार भी करने लगे. वह ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ लॉटरी ट्रेड एंड अलाइड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष भी हैं. इस संगठन की बात करें तो यह भारत में लॉटरी व्यापार के उत्थान और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने का काम करता है.

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कंपनी की ईडी कर रही है जांच

जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 2019 से 2024 के बीच 1368 करोड़ रुपये का दान दिया जिसके बाद से यह कंपनी चर्चा में है. जांच एजेंसी ईडी 2019 से पीएमएलए कानून के कथित उल्लंघन के लिए कंपनी की जांच कर रही है. मई 2023 में कोयंबटूर और चेन्नई में छापेमारी भी की गई थी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े सभी डेटा को चुनाव आयोग को सौंपने का काम किया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन यानी 15 मार्च शाम पांच बजे तक, से एक दिन पहले, 14 मार्च को ही सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी.

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