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Electoral Bonds: चुनावी बॉण्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, SIT जांच की मांग

Electoral Bonds: चुनावी बॉण्ड को लेकर मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर एक याचिका दायर की गई है. जिसमें लेन-देन की एसआईटी जांच की मांग की गई है.

Electoral Bonds: चुनावी बॉण्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राजनीतिक दलों, कॉर्पोरेट और अन्य पक्षों के बीच कथित लेन-देन की एसआईटी से जांच की मांग की गई है.

शेल और घाटे में चल रही कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जांच की भी मांग

चुनावी बॉण्ड को लेकर दायर याचिका में विभिन्न राजनीतिक दलों को शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जांच करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की गई है, जैसा कि चुनावी बॉण्ड डेटा के माध्यम से खुलासा किया गया है. याचिका में प्राधिकारियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि कंपनियों द्वारा इन पार्टियों को राजनीतिक दलों द्वारा दान की गई रकम को बदले की व्यवस्था के हिस्से के रूप में वसूला जाए, जहां यह अपराध की आय पाई जाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च को चुनावी बॉण्ड योजना को कर दिया था रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 15 मार्च को एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीति के वित्तपोषण के लिए लाई गई चुनावी बॉण्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए निरस्त कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को चंदा देने वालों, बॉण्ड के मूल्यों और उनके प्राप्तकर्ताओं की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 की इस योजना को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सूचना के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया. शीर्ष अदालत केंद्र की इस दलील से सहमत नहीं थी कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना और काले धन पर अंकुश लगाना था.

मोदी सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉण्ड योजना की शुरुआत की थी

चुनावी बॉण्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था. इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉण्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता था. कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉण्ड खरीद सकता था.

प्रधानमंत्री ‘भ्रष्टाचार का स्कूल’ चला रहे, ‘एंटायर करप्शन साइंस’ विषय पढ़ा रहे : राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी बॉण्ड से जुड़े मुद्दे का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘‘भ्रष्टाचार का स्कूल’’ चला रहे हैं और चंदे का धंधा समेत प्रत्येक अध्याय वह खुद विस्तार से पढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि छापा डालकर चंदे की वसूली कैसे होती है, चंदा लेकर ठेका कैसे बांटा जाता है, भ्रष्टाचारियों को शुद्ध करने वाली वाशिंग मशीन कैसे काम करती है, एजेंसियों को वसूली एजेंट बनाकर ‘बेल और जेल’ का खेल कैसे होता है, इनके बारे में पढ़ाया जा रहा है.

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