Electoral Bonds: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था और चंदा देने वालों, बॉण्ड के मूल्यों और उनके प्राप्तकर्ताओं की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
Electoral Bonds: चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया था फैसला
चीफ जस्टिय डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 की इस योजना को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सूचना के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बतातो हुए निरस्त कर दिया था. कोर्ट केंद्र सरकार की इस दलील से सहमत नहीं थी कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना और काले धन पर अंकुश लगाना था.
चुनाव आयोग को 13 मार्च तक दान देने वालों के नाम की जानकारी उपलब्ध कराना है
कोर्ट के आदेशानुसार, निर्वाचन आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर छह वर्ष पुरानी इस योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी उपलब्ध कराना है.
एसबीआई को चुनावी बॉण्ड की खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और खरीद मूल्य का विवरण देना होगा
एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुगतान कराए गए सभी चुनावी बॉण्ड का ब्योरा देना होगा. इस ब्योरे में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉण्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी. कोर्ट ने कहा था कि विवरण में प्रत्येक चुनावी बॉण्ड की खरीद की तारीख, बॉण्ड के खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का मूल्य शामिल हो.
चुनावी बॉण्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था
चुनावी बॉण्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था. इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉण्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता था. कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉण्ड खरीद सकता था.