Eliminate Lymphatic Filariasis: रोग के निपटारे के लिए 63 जिलों में शुरू किया गया अभियान

बिहार, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में चलेगा. डोर टू डोर चलने वाले अभियान के तहत रोग से निपटने वाली दवा मुहैया करायी जायेगी. सरकार का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर लक्ष्य से इस रोग का खात्मा करना है.

By Vinay Tiwari | August 10, 2024 7:02 PM

ब्यूरो, नयी दिल्ली

लिंफैटिक फाइलेरियासिस(हाथीपांव)के खात्मे के लिए शनिवार को राष्ट्रीय मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन(एमडीए) अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की गयी. इस अभियान के तहत देश के 63 प्रभावित जिलों में व्यापक अभियान चलाया जायेगा. ये जिले बिहार, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में चलेगा. डोर टू डोर चलने वाले अभियान के तहत रोग से निपटने वाली दवा मुहैया करायी जायेगी. सरकार का वैश्विक स्तर पर तय समय से पहले देश में इस रोग का निदान करना है. इस दौरान लिंफैटिक फाइलेरियासिस रोग के निपटान के लिए दिशा निर्देश भी जारी किया गया. 

राज्यों के सहयोग से रोग के खात्मे की हो रही कोशिश

वर्चुअली आयोजित कार्यक्रम में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री भी शामिल हुए. इसमें झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, बिहार के मंगल पांडे, तेलंगाना के दामोदर राज नरसिम्हा, ओडिशा के मुकेश महालिंग, उत्तर प्रदेश के जय प्रताप सिंह और कर्नाटक के दिनेश गुंडुराव शामिल हुए. इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि लिंफैटिक फाइलेरियासिस मच्छर से पैदा होने वाला रोग है और आसान तरीकों से इसका रोकथाम किया जा सकता है. ऐसे में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान से काफी फायदा होगा. सरकार इस रोग से निपटने के लिए साफ-सफाई के अलावा दवा मुहैया करा रही है. इस रोग से पीड़ित लोग देश के 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में है. इस रोग से सिर्फ आम लोगों के स्वास्थ्य पर ही असर नहीं पड़ता है, बल्कि जीवन भर विकलांग बना देता है. 

देश के 6 राज्यों में चलेगा अभियान

शनिवार को हुए हुआ अभियान देश के 63 जिलों और 771 ब्लॉक में चलाया जायेगा. इस दौरान 38 ट्रिपल ड्रग और 25 डबल ड्रग मुहैया कराया जायेगा. अभियान के तहत सिर्फ दवा के वितरण काे महत्व नहीं दिया जायेगा, यह प्रयास होगा कि लोग दवा का उचित तरीके से सेवन कर सके. सरकार ने वर्ष 2027 तक इस रोग को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. मौजूदा समय में यह रोग देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के 345 जिलों में सामने आया है, जबकि देश के 8 राज्य बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में ही 90 फीसदी मामले सामने आये. केंद्र सरकार मिशन मोड में पांच सूत्री एजेंडे के तहत इस रोग के खात्मे की दिशा में काम कर रही है. 

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