क्या देश में फिर कभी लग सकता है आपातकाल ? जानें क्या कहता है संविधान

26 जून साल 1975 की सुबह रेडियो पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज से पूरा देश गूंज उठा संदेश था. 'भाइयों, बहनों... राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है. लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2022 5:11 PM

आज भी आपातकाल की चर्चा होती है, उस वक्त के हालात पर कई किताबें कई कहानियां हम सभी ने सुनी है. सवाल है कि क्या देश में फिर आपातकाल लग सकता है, आपातकाल किन परिस्थितियों में लगाया जा सकता है, संविधान क्या कहता है ? आइये इस वीडियो में इन सारे सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं. मसलन, आपातकाल होता क्या है? क्यों लगाया जाता है? कितने तरह का आपातकाल होता है.

भारतीय संविधान में एक ऐसा प्रावधान है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब देश को किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका हो यानि आपात स्थिति हो. संविधान में इसकी परिकल्पना की गयी है जब देश में देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा खतरे में हो. देश पर किसी दूसरे देश का हमला हो जाये, युद्ध जैसे हालात हों. आपातकाल तीन तरह के होते हैं.

पहला है राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352 में इसका जिक्र मिलता है. नेशनल इमरजेंसी तब लागू की जा सकती है जब युद्ध, बाहरी आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो, इसमें आम नागरिकों के सारे अधिकार छीन लिए जाते हैं. नेशनल इमरजेंसी को कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा लागू कर सकते हैं.

दूसरा है राष्ट्रपति शासन या स्टेट इमरजेंसी

संविधान के अनुच्छेद 356 में इसका जिक्र है और कई बार राज्यों में इसे लागू किया गया है. महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक हलचल में इसका जिक्र खूब चल रहा है. राज्य में राजनीतिक संकट को देखते हुए संबंधित राज्य में राष्ट्रपति आपात स्थिति का ऐलान कर सकते हैं. या फिर राज्य, केंद्र की कार्यपालिका के किन्हीं निर्देशों का अनुपालन करने में असमर्थ हो जाता है, तो भी राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है. इन हालात में न्यायिक कार्यों को छोड़कर केंद्र सारे राज्य प्रशासन अधिकार अपने हाथों में ले लेता है.इसे कम से कम 2 महीने और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक लागू किया जा सकता है.

तीसरा है आर्थिक आपात (अनुच्छेद 360)

अबतक देश में आर्थिक आपातकाल लागू नहीं किया गया है. इसे भी संविधान में परिभाषित किया गया है. अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपात की घोषणा राष्ट्रपति उस वक्त कर सकते हैं, जब उन्हें लगे कि देश में ऐसा आर्थिक संकट बना हुआ है, जिसके कारण भारत के वित्तीय स्थायित्व और साख को खतरा है.ऐसी आपात स्थिति में आम नागरिकों के पैसों और संपत्ति पर देश का अधिकार हो जाएगा.

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