Loading election data...

Emergency In India : जानिए आपातकाल के 21 महीने में क्या क्या हुआ था बदलाव !

india emergency, emergency in india, indira gandhi emergency, emergency in india in hindi, india emergency 45 year, how many times emergency declared in india, article 360 emergency in india, types of emergency in india, aapatkal news, aapatkal kab lga, emergency pass, emergency in jharkhand : 25 जून भारतीय राजनीतिक का ऐसा दिन है, जिसे भूलाए नहीं भूलाया जा सकता है. इसी दिन पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 1975 ईस्वी में देश में आंतरिक आपातकाल लागू कर दिया. इंदिरा गांधी का यह फैसला विशुद्ध रूप से राजनीतिक था, जो इतिहास के पन्नों में एक काले अध्याय की तरह जुड़ता चला गया. देश में आपातकाल तकरीबन 21 महीनों तक लागू रहा. इन 21 महीनों में भारत की दशा और दिशा बदल गई, आइए जानते हैं आपातकाल के दौरान भारत में क्या क्या बदला?

By AvinishKumar Mishra | June 25, 2020 6:57 AM

नयी दिल्ली : 25 जून भारतीय राजनीतिक का ऐसा दिन है, जिसे भूलाए नहीं भूलाया जा सकता है. इसी दिन पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 1975 ईस्वी में देश में आंतरिक आपातकाल लागू कर दिया. इंदिरा गांधी का यह फैसला विशुद्ध रूप से राजनीतिक था, जो इतिहास के पन्नों में एक काले अध्याय की तरह जुड़ता चला गया. देश में आपातकाल तकरीबन 21 महीनों तक लागू रहा. इन 21 महीनों में भारत की दशा और दिशा बदल गई, आइए जानते हैं आपातकाल के दौरान भारत में क्या क्या बदला?

मौलिक अधिकार खत्म- इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा करते ही देश में मौलिक आधार मिलने वाली अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 को निलंबित कर दिया. यह अनुच्छेद लोगों को जीने का अधिकार, समानता का अधिकार और संपत्ति सुरक्षा का अधिकार देता है. इसके अलावा तत्कालीन सरकार ने आईपीसीसी के कानूनों में भी बदलाव कर दिया. पहले, जहां गिरफ्तारी होने पर 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता था, उसे आपातकाल में खत्म कर दिया गया.

ऐसा ही एक मामला सर्वोच्च न्यायालय गया, जिसे आज एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला केस के नाम से जाना जाता है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए गया. सुनवाई करने वाली पीठ में चीफ जस्टिस एएन रे, जस्टिस एचआर खन्ना, जस्टिस एमएच बेग, जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएन भगवती शामिल थे. सरकार की ओर से दलील तत्कालीन अटॉर्नी जनरल नरेन डे ने रखी. डे ने अपनी दलील में कहा कि इस वक्त किसी भी सरकार प्रदत्त हत्या पर सुनवाई नहीं हो सकती है, क्योंकि देश में राष्ट्रपति ने आपातकाल के तहत जीवन जीने का अधिकार को फ्रीज कर रखा है. सरकार के इस दलील से चार जज सहमत हो गए.

मीसाबंदी कानून- आपातकाल लागू होने के बाद देश में हजारों छोटे-बड़ राजनेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. इन सभी नेताओं को आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था. पूरे देश में सरकार का विरोध करने वालों को सीधे तौर मीसा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस कानून के तहत देशभर में तकरीबन 1 लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.

मीडिया पर पाबंदी– आपातकाल की दौरान मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई. तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री आईके गुजराल को पद से हटा दिया गया, जिसके बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इंदिरा सरकार इस पाबंदी के खिलाफ कई अखबारों ने जमकर विरोध किया. इंडियन एक्सप्रेस, स्टेटमेंट जैसे उस वक्त के अखबारों ने विरोध में संपादकीय पेज खाली छोड़ दिया. हालांकि बाद में कई पत्रकारों को भी जेल में डाल दिया गया.

Also Read: आपातकाल में 80 दिन तक जेल में बंद रहे लातेहार वैद्य शिवनारायण पाठक से काफी प्रभावित थे अटल बिहारी वाजपेयी

आपातकाल का एक दूसरा पक्ष भी है, इंडिया टुडे कि रिपोर्ट के अनुसार आपातकाल के दौरान देश में कालाबाजारी पूरी तरह खत्म हो गई थी. घपले घोटाले करने वालों को सरकारी व्यवस्था का अधिक ही भय था. इतना ही नहीं आपातकाल के दौरान रेल समय पर चलने लगी थी, आजादी के बाद देश में ऐसा पहला मौका था. 1977 में इंदिरा गांधी ने आईबी से एक सर्वे रिपोर्ट कराई. रिपोर्ट में कहा गया निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों ने इसे सकारात्मक तौर पर लिया है. हालांकि यह रिपोर्ट चुनावी नतीजों को नहीं बदल पाई और इंदिरा 1977 की चुनाव हार गई.

Posted By : Avinish Kumar Mishra

Next Article

Exit mobile version