Emergency in India : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को 18वीं लोकसभा में पहली बार दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में इमरजेंसी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है. देश में 1975 में इमरजेंसी लागू किया गया था. यह हमारे संविधान पर सीधा हमला था. ऐसे अनेक हमलों के बाद भी देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाया.
इमरजेंसी के दौरान मच गया था हाहाकार : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
आगे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत का संविधान, बीते दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है. जिस वक्त संविधान का निर्माण हो रहा था, उस वक्त भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं, जो भारत के असफल होने की प्रार्थना कर रहीं थीं. राष्ट्रपति ने अपने 55 मिनट के अभिभाषण में कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले किये गये. उन्होंने कहा कि आज 27 जून है. 25 जून, 1975 को लागू हुआ इमरजेंसी, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था. उस समय पूरे देश में हाहाकार मच गया था.
भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं. सरकार भी भारत के संविधान को केवल राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती है, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए कोशिश जारी है. इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया.
Also Read : Parliament: ‘इमरजेंसी संविधान पर सबसे बड़ा हमला’, दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा