केंद्र सरकार ने आज संसद में कहा है कि देश में अगले साल तक कोयले का उत्पादन और बढ़ेगा साथ ही कोयले की मांग भी बढ़कर 150 करोड़ टन हो जायेगी. राज्यसभा में कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि अगले साल तक देश में कोयले का उत्पादन बढ़कर एक अरब टन हो जायेगा.
प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि देश में कोयले का उत्पादन 56.6 करोड़ टन था जो बढ़कर 90 करोड़ टन या उससे ज्यादा हो जायेगा. उन्होंने बताया कि देश में कोयले की मांग लगातार बढ़ रही है, ऐसे में इसका उत्पादन बढ़ाने की सख्त जरूरत है.
गौरतलब है कि एक ओर तो सरकार देश में कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने ‘ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022’ को मंजूरी प्रदान की है. इस विधयेक में रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कई प्रावधान किये गये हैं और सरकार ने इसे भविष्य की ओर कदम बताया है. ऊर्जा संरक्षण विधेयक के पारित होने के बाद न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर राजकुमार सिंह ने कहा कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने जो कुछ हासिल किया है उसपर पूरे देश को गर्व करना चाहिए.
We are relentlessly marching ahead towards our target of reducing India's carbon intensity by 45% by 2030.
The passage of Energy Conservation (Amendment) Bill, 2022 in Rajya Sabha today paves the way to enhanced use of renewable energy.#EnergyTransition #ClimateAction pic.twitter.com/WgZRe0pJ5D— R. K. Singh (@RajKSinghIndia) December 12, 2022
रिन्यूएबल एनर्जी मंत्री राजकुमार सिंह ने संसद में जानकारी दी है कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने जो कर दिखाया है वो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए उदाहरण है. हमने यह तय किया था कि 2030 तक बिजली उत्पादन का 40 प्रतिशत क्लीन एनर्जी के जरिये हासिल किया जायेगा, लेकिन यह लक्ष्य हमने 2021 में ही पूरा कर लिया.
ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट तौर पर विधेयक के बारे में कहा है कि इससे राज्यों के अधिकारों पर कोई कुठाराघात नहीं होगा. पर्यावरण की रक्षा केंद्र और राज्य दोनों की जिम्मेदारी है. इसलिए केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को इस ओर मजबूती से कदम उठाने होंगे.
ऊर्जा संरक्षण विधेयक की खासियत यह है कि इसमें ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म स्रोतों के उपयोग की बात कही गयी है. साथ ही इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि बड़ी इमारतें जिनकी जरूरत 100 किलोवाट से अधिक की है वे रिन्युएबल एनर्जी के जरिये अपनी जरूरतों को पूरा करने पर जोर दें.
जलवायु सम्मेलनों में भारत सरकार ने बार-बार यह दोहराया है कि वह जलवायु की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए भारत सरकार ने अपने कई लक्ष्य भी निर्धारित किये हैं. इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत सरकार रिन्युएबल एनर्जी को बढ़ावा दे रही है और नये प्रतिमान गढ़ रही है. इन लक्ष्यों में प्रमुख हैं- साल 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाना. रिन्यूएबल एनर्जी के जरिये देश की 50 प्रतिशत बिजली की मांग को पूरा करना. कार्बन उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करना एवं साल 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना. इसमें कोई दो राय नहीं है कि क्लाइमेट चेंज से पूरा विश्व प्रभावित है और स्थिति यह है कि अगर हम अभी भी नहीं संभलें तो जीव-जंतुओं की बात तो दीगर है इंसानों के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े हो जायेंगे.
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