नयी दिल्ली: Eta Variant of Coronavirus: वैश्विक महामारी कोरोना के नित नये वैरिएंट सामने आ रहे हैं. इसने डॉक्टरों और चिकित्सा जगत के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. विशेषज्ञ एक वैरिएंट से निबटने की रणनीति बनाते हैं, तब तक दूसरा वैरिएंट सामने आ जाता है. अब कर्नाटक में कोरोना वायरस का एटा वैरिएंट सामने आया है. वैज्ञानिक कोरोना की तीसरी लहर से इस वैरिएंट के कनेक्शन के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. यह भी पता लगाया जा रहा है कि थर्ड वेब से इसका कोई कनेक्शन है भी या नहीं.
कर्नाटक के मंगलौर में कोरोना वायरस का ‘एटा’ (Eta) वैरिएंट सामने आया है. हालांकि, यह कोई नया वैरिएंट नहीं है, लेकिन भारत में इसके पाये जाने के बाद से चिकित्सा जगत की चिंता बढ़ गयी है. सबसे पहले जान लें कि ये एटा वैरिएंट है क्या? मिजोरम में पहली बार कोरोना का यह वैरिएंट पाया गया था. जिस शख्स में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई थी, वह दुबई से आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2020 के आखिरी महीने यानी दिसंबर में इस वैरिएट की पहचान की थी.
डब्ल्यूएचओ ने 17 मार्च, 2021 को इस वायरस के असर को देखते हुए इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ कहा था. तब से इसके बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने के लिए जांच जारी है. डॉक्टरों की मानें, तो एटा वैरिएंट कोरोना वायरस के अन्य सभी वैरिएंट से बिल्कुल अलग है. यह वायरस के E484K और F888L का म्यूटेशन है. भारत में इस वैरिएंट का पहला मामला जुलाई 2021 में मिजोरम में सामने आया था.
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डॉक्टरों ने कहा कि चार महीने पहले दुबई से लौटा एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाया गया था. उसके सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था. दो दिन पहले रिपोर्ट आयी है और उसमें एटा वैरिएंट की पुष्टि हुई है. डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि मिजोरम में इस वैरिएंट का ज्यादा असर नहीं देखा गया. विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और अधिक से अधिक टेस्ट करवाकर कोरोना से संक्रमित लोगों का उपचार किया जाना चाहिए.
डॉक्टरों का कहना है कि कर्नाटक में एटा वैरिएंट का यह पहला मामला नहीं है. पहले भी कर्नाटक में यह वैरिएंट पाया जा चुका है. डॉक्टर कहते हैं कि मंगलोर में जो एटा वैरिएंट पाया गया है, उससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है. यह वैरिएंट आज भी कई जगहों पर ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ बना हुआ है. इसके बारे में अभी ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए शोध चल रहे हैं. हां, अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट चिंता का कारण हैं. इन वैरिएंट्स ने कोरोना संक्रमण की रफ्तार को गति दी है.
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डॉक्टरों ने कहा है कि एटा वैरिएंट से कोरोना वायरस के संक्रमण की तीसरी लहर का कोई खतरा नहीं है. इसकी वजह यह है कि यह काफी पुराना वैरिएंट है. बस इसकी पहचान अब जाकर हुई है. यदि यह खतरनाक होता, तो अब तक इसके कई मामले सामने आ चुके होते. लेकिन, हाल के दिनों में इसके गिने-चुने मामले ही सामने आये हैं. इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है. बस सावधानी बरतना जरूरी है.
मेडिकल साइंस से जुड़े लोग भले ही एटा वैरिएंट से ज्यादा खतरा न बता रहे हों, लेकिन कर्नाटक सरकार ने इस वैरिएंट के सामने आने के बाद जब जुलाई के अंतिम सप्ताह में संक्रमण के मामलों में तेजी दिखी, तो प्रभावित क्षेत्रों में लॉकडाउन को सख्ती से लागू करवाया. इसका असर भी दिखा. ज्ञात हो कि कर्नाटक में शनिवार को कोरोना के 1,610 नये मामले सामने आये और 32 की मौत हो गयी. इसी के साथ राज्य में कोरोना के 24,266 एक्टिव केस रह हो गये हैं. प्रदेश के 28,55,862 लोगों ने कोरोना को मात दी है और 36,773 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है.
Posted By: Mithilesh Jha