Explainer: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर देशभर में धीरे-धीरे सियासी माहौल बनता जा रहा है. इसी कड़ी में केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय दलों के प्रमुख नेताओं ने अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ा दी है. इन सबके बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अब विपक्षी एकजुटता का बीड़ा उठाया है.
पिछले महीने बीजेपी से नाता तोड़ने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. नीतीश कुमार की इस मुलाकात का उद्देश्य वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करना है. केजरीवाल से पहले नीतीश कुमार ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा से भी उनके पार्टी कार्यालयों में मुलाकात की थी. वहीं, नीतीश कुमार ने हरियाणा के पूर्व सीएम और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की है.
जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों को वर्ष 2024 के चुनाव में बीजेपी का संयुक्त मुकाबला करने के लिए एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं और उनका विशेष जोर समाजवादी पृष्टभूमि की पार्टियों को एकसाथ लाने पर है. बीजेपी से अपना पुराना नाता तोड़कर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने रविवार को कहा था कि उनका एकमात्र लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष को एकजुट करना है. नीतीश कुमार ऐसे समय दिल्ली के दौरे पर आए हैं जब कयास लगाए जा रहे हैं कि वर्ष 2024 में होने वाले चुनाव के लिए वह विपक्ष के प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार हो सकते हैं.
इधर, कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर जारी सियासी अटकलों के बीच पार्टी सांसद राहुल गांधी लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है. मिशन 2024 के लिए कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन करते हुए राहुल गांधी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली को संबोधित करते हुए कृषि कानूनों पर कहा कि ये तीनों कानून उद्योगपतियों के लिए लाए गए थे. उन्होंने कहा कि किसानों की एकता ने इन कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया. मोदी सरकार पर बड़ा वार करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जीएसटी ने छोटे कारोबारियों को खत्म कर दिया और रोजगार इन्हीं से मिलता है.
गुलाम नबी आजाद से पहले भी कई दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है. सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस में इस्तीफे का सिलसिला अब भी जारी है. आजाद ने तो सीधे राहुल गांधी पर प्रहार किया और उन्हें अपरिपक्व व अगम्भीर व्यक्ति बताया है. राजनीति के जानकारों की मानें तो अंदरूनी गुटबाजी का सामना कर रही कांग्रेस को अगर बीजेपी को चुनौती देना है तो इसके लिए उसे एकजुट होना होगा. अपनी अंदरूनी समस्याओं के बावजूद कांग्रेस वैसी पार्टी बनी हुई है, जो किसी भी राष्ट्रीय महागठबंधन को एक सूत्र में पिरो सकती है. आज कांग्रेस भले दो ही राज्यों में सत्ता में हो, लेकिन बीजेपी के अलावा वह इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसकी राष्ट्रीय पहचान है.
साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक तरफ जहां नीतीश कुमार विपक्षी खेमे को एकजुट करने में जुटे हैं. वहीं दूसरी ओर, बीजेपी ने भी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है. इसी के मद्देनजर मंगलवार को बीजेपी मुख्यालय में जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बड़ी बैठक हुई. इस दौरान लोकसभा चुनाव को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा हुई. बताया जाता है कि चर्चा का अहम मुद्दा वे 144 सीटें रही, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी बहुत कम अंतर से हार गई थी. 2024 के लक्ष्य के साथ बीजेपी ने इन 144 सीटों के लिए खास रणनीति तैयार की है. सूत्रों की मानें तो इन सीटों को समूहों में बांटा गया है, जिसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री को सौंपी गई है. बताया जा रहा है कि विपक्षी खेमे में व्यस्त गतिविधियों के बीच बीजेपी ने 2024 के आम चुनाव का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि बीजेपी ने 2019 में 543 लोकसभा सीटों में से 303 पर जीत हासिल की थी.
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