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Explainer: कौन बनेगा कांग्रेस का अगला अध्यक्ष, शशि थरूर पर क्यों भारी पड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान कुल 20 फॉर्म मिले थे, जिसमें चार को खारिज कर दिया गया. खारिज होने के पीछे उन्होंने हस्ताक्षर में गड़बड़ी को कारण बताया. खड़गे ने 14 फॉर्म भरे थे, जबकि थरूर ने पांच और त्रिपाठी ने एक फॉर्म भरा था.

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव काफी दिलचस्प होता जा रहा है. अशोक गहलोत और दिग्विजय सिंह के नाम पर सबसे अधिक चर्चा हुई थी, लेकिन दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया है. जबकि झारखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता के एन त्रिपाठी का नामांकन पत्र खारिज होने के बाद अब मैदान में केवल शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे रह गये हैं. जिससे मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है.

अध्यक्ष पद के नामांकन में आये 20 फॉर्म, चार रद्द

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान कुल 20 फॉर्म मिले थे, जिसमें चार को खारिज कर दिया गया. खारिज होने के पीछे उन्होंने हस्ताक्षर में गड़बड़ी को कारण बताया. खड़गे ने 14 फॉर्म भरे थे, जबकि थरूर ने पांच और त्रिपाठी ने एक फॉर्म भरा था. जिसमें त्रिपाठी का नामांकन खारिज हो गया.

Also Read: कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा से दिया इस्तीफा, रेस में दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम आगे

थरूर पर खड़गे भारी

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच सीधा मुकाबला होगा. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि शशि थरूर पर खड़गे भारी पड़ेंगे. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के सबसे विश्वसनीय और कद्दावर नेता माने जाते हैं. पार्टी के अंदर और राजनीति में उनकी पहचान स्वच्छ नेताओं में होती है. कांग्रेस ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी, उस वह पूरी इमानदारी के साथ पूरा किया. चाहे बात 2014 के लोकसभा चुनाव की हो या फिर संसद में विपक्ष के नेता की. हमेशा पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे. हाल के दिनों में राजस्थान कांग्रेस में जिस तरह से बवाल हुआ था, उसे भी शांत कराने के लिए अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें ही पर्यवेक्षक बनाकर वहां भेजा था. यही नहीं खड़गे कांग्रेस परिवार के बेहद करीबी रहे हैं.

खड़गे की पहचान दलित नेता के रूप में

मल्लिकार्जुन खड़गे की पहचान दलित नेता के रूप में भी है. दक्षिण भारत से होने के बाद भी खड़गे हिंदी के अच्छे जानकार हैं. जब संसद में भाषण देते हैं, तो अन्य दल के नेता भी उन्हें गहराई के साथ सुनते हैं. खड़गे अपने निजी जीवन में बेहद शांत और सरल माने जाते हैं, लेकिन संसद में सत्ता पक्ष को अपने तर्क से परास्त करने में पीछे कभी नहीं रहे. खड़गे 9 बार विधायक रहे और दो बार लोकसभा सांसद भी रहे.

खेल के मैदान से भी खड़गे का रहा लगाव

मल्लिकार्जुन खड़गे के बारे में शायद लोगों को यह मालूम न हो कि राजनीति की पिच पर खेलने के साथ-साथ वह खेल के मैदान पर भी शानदार खिलाड़ी रहे हैं. खड़गे को खेल में काफी दिलचस्पी रही है.

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