S Jaishankar: ‘प्रौद्योगिकी के उदय से जुड़ा हुआ है भारत का उदय’, ग्लोबल टेक समिट में विदेश मंत्री का बयान

राजधानी दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा डेटा कहां जा रहा है यह अब व्यवसाय और अर्थशास्त्र का नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है. हमारी इस दुनिया में हर चीज को हथियार बनाया जा रहा है, मुझे अपना दृष्टिकोण बदलना होगा कि मुझे अपने हितों की रक्षा कहां करनी चाहिए.

By Aditya kumar | November 29, 2022 11:59 AM

S Jaishankar: दिल्ली में वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन 2022 का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे. वहां बातचीत के क्रम में विदेश मंत्री ने बताया कि भारत का उदय भारतीय प्रौद्योगिकी के उदय से गहराई से जुड़ा हुआ है. आगे उन्होंने कहा कि यदि हम भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हैं, तो यह राजनीति, ऊर्जा, अर्थशास्त्र का शुद्ध मूल्यांकन होना चाहिए, लेकिन तेजी से जहां हमारे तकनीकी हित निहित हैं.

हमारा डेटा अब अर्थशास्त्र का नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है

राजधानी दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा डेटा कहां जा रहा है यह अब व्यवसाय और अर्थशास्त्र का नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है. हमारी इस दुनिया में हर चीज को हथियार बनाया जा रहा है, मुझे अपना दृष्टिकोण बदलना होगा कि मुझे अपने हितों की रक्षा कहां करनी चाहिए. ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट 2022 में विदेश मंत्री ने आगे कहा कि विषय का चयन समयोचित है क्योंकि प्रौद्योगिकी आज भू-राजनीति के केंद्र में है. देशों ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय लिए हैं और प्रौद्योगिकी को लागू करने से उन्हें किस तरह का प्रभाव मिलेगा.

यूक्रेन युद्ध ने यूरोप में ऑक्सीजन को चूस लिया है- EAM जयशंकर

यूक्रेन युद्ध पर पुनः अपनी राय रखते हुए उन्होंने बताया कि यूक्रेन युद्ध ने यूरोप में ऑक्सीजन को चूस लिया है. उम्मीद है कि हम कुछ और समय में अपनी बैठक करेंगे. आगे उन्होंने कहा कि हमने इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क पर जुड़ाव शुरू कर दिया है. अमेरिका इस पर आगे रहा है. इसमें बड़ी तकनीक और आपूर्ति श्रृंखला तत्व हैं. आपके पास विभिन्न साझेदारों के साथ IPEF और क्वाड की बहुत सारी द्विपक्षीय चर्चाएँ हैं और बड़ी बहसें हमारे अपने देश में चल रही हैं.

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ग्लोबल टेक समिट में ईएएम जयशंकर ने आगे कहा कि बड़ी ताकतों की होड़ में तेजी देख अतीत के कई समझौते जारी नहीं रहेंगे. हमने पिछले कुछ दिनों में देखा है कि कुछ समझौते ऐसे हैं जिनका नवीनीकरण नहीं किया गया है. नई समझ रखना बहुत कठिन हो जाएगा. हम वास्तव में पहले से ही राजनीति पर जलवायु घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देख रहे हैं. एक उदाहरण होगा- यूरोप में आज बड़ी बहस यह है कि क्या यह ऊर्जा के दृष्टिकोण से सर्दी से बचे रहने में सक्षम होगा.

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