CM Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र में आज से ‘फडणवीस राज’ शुरू हो गया है. विधानसभा चुनाव में महायुति को बंपर जीत मिली. इसके बाद से ही सीएम पद को लेकर एकनाथ शिंदे से काफी दिनों तक खींचतान चलती रही. महायुति के नेता मुंबई से दिल्ली तक दौड़ लगाते रहे. आखिरकार देवेंद्र फडणवीस बाजी पलटने में कामयाब रहे. मुंबई के आजाद मैदान में आज यानी गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के नये सीएम के रूप में शपथ ली. महायुति गठबंधन में सहमति से लेकर एनसीपी (शिंदे गुट) से सही तालमेल बैठाने में देवेंद्र फडणवीस ने हर जगह अपनी राजनीतिक बाजीगरी दिखाई.
सीएम बनते-बनते विपक्ष में बैठना पड़ा
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन एमवीए के गठबंधन समीकरण के कारण उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ा था. उस समय शिवसेना बीजेपी का साथ छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ जा मिली थी. एनसीपी ने उस समय ऐसी शतरंज की बिसात बिछाई की सीएम बनते-बनते देवेंद्र को विपक्ष में बैठना पड़ा. राजनीति जंग जीतकर भी फडणवीस हार गये थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 5 साल के अंदर ही राजनीति के शतरंज की पूरी बिसात बदल दी. महायुति की इतनी बड़ी जीत में अहम भूमिका देवेंद्र फडणवीस की रही है.
‘मैं समंदर हूं लौटकर आऊंगा’- देवेंद्र फडणवीस
साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा के एक सत्र में उन्होंने शायराना अंदाज में कहा था कि…’मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा.’ अपनी बात को शत प्रतिशत सत्य करते हुए देवेंद्र फडणवीस लौटे, बंपर जीत के साथ लौटे. आज वो महाराष्ट्र के सीएम बन गये हैं. देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने हैं. 2019 में विपक्ष में बैठने के बाद भी देवेंद्र फडनवीस ने अपना संघर्ष जारी रखा. बीजेपी नेतृत्व ने भी उन पर भरोसा जताया. महाराष्ट्र की राजनीति और बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस का कद क्या है विधानसभा चुनाव के नतीजे यह साफ बयां कर रहे हैं.
कैसा रहा है फडणवीस का सियासी सफर
महाराष्ट्र की सियासी जमीन पर बीजेपी का सबसे बड़े चेहरों में से एक देवेंद्र फडणवीस को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता गंगाधर राव आरएसएस और जनसंघ से जुड़े हुए थे. वो विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे. अपने घर की राजनीतिक विरासत को कायम रखते हुए देवेंद्र फडणवीस की भी राजनीति में काफी दिलचस्पी थी. छात्र जीवन से ही वो राजनीति में गहरी रुचि रखने लगे थे. साल 1992 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में एंट्री की. 22 साल की उम्र में पहली बार फडणवीस ने नागपुर नगर निगम में काउंसिलर का चुनाव लड़ा और जीत गये. साल 1997 में वो नागपुर के मेयर चुने गए. फडणवीस 2 साल तक नागपुर के मेयर बने रहे.
पहली बार देवेंद्र फडणवीस बने विधायक
1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को नागपुर वेस्ट विधानसभा से टिकट दिया. उस वक्त उनकी उम्र महज 27 साल थी. इस सीट से देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जीत दर्ज कर ली. कम उम्र के होते हुए भी महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस का कद तेजी से बढ़ रहा था. जिस सीट से दिग्गज नेता नितिन गडकरी चुनाव हार गये थे वहां देवेंद्र फडणवीस ने जीत दर्ज कर बड़ा काम कर दिखाया.
महाराष्ट्र की राजनीति में बढ़ता गया देवेंद्र फडणवीस का कद
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद देवेंद्र फडणवीस बीजेपी और महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके थे. एक के बाद एक वो राजनीति में सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते चले गए. साल 2004, 2009, 2014, 2019, 2024 के सभी चुनावों में उन्होंने जीत दर्ज की. 2009 में वो नागपुर वेस्ट की जगह नागपुर साउथ वेस्ट से प्रत्याशी बने, यहां भी उन्होंने जीत का परचम लहरा दिया. साल 2013 में फडणवीस को महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद 2014 में पहली बार वो सत्ता पर काबिज हुए. देवेंद्र फडणवीस प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. महाराष्ट्र अघाड़ी के दलों में टूट के बाद सरकार गिर गई. प्रदेश में साल 2022 को महायुति की सरकार बनी जिसमें फडणवीस महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने.