कर्नाटक में इन दिनों पुलिस कर्मियों के फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर लोगों से पैसे ठगने के मामले सामने आये हैं. पहली बार मामले का खुलासा तब हुआ जब 15 सितंबर को, कर्नाटक में एक वरिष्ठ IPS अधिकारी, पी हरिशेखरन ने बेंगलुरु के CID साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि किसी ने उनके नाम और तस्वीरों के साथ एक फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाया था और अपने दोस्तों से पैसे मांग रहा था. इसके एक दिन बाद सीआईडी के उप पुलिस अधीक्षक एमएच नागथे ने इस तरह की शिकायत दर्ज कराई.
फिर 5 अक्टूबर को CID में एक अन्य DSP, प्रकाश राठौड़ ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि उनके दोस्त के एक दोस्त ने DSP के नाम पर एक फर्जी फेसबुक अकाउंट से संपर्क करने के बाद पैसे दिये थे. सीआईडी साइबर इकाई ने जब इस संगठित साइबर अपराध नेटवर्क का पता लगाया तो मालूम चला कि यह पूरा खेल भरतपुर और राजस्थान के अन्य हिस्सों से संचालित होता है. कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना के एक दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों ने इस तरह की शिकायत की.
इस ठगी के खेल में एक मोबाइल फोन सिम कार्ड रिटेलर और एक वितरक शामिल हैं जिसने सैकड़ों फर्जी आधार कार्ड बनाए थे और फर्जी आईडी के खिलाफ सिम कार्ड जारी किए थे, जिसके जरिये फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर उनका सोशल मीडिया अकाउंट बनाया गया.
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मामले का खुलासा होने का बाद कार्रवाई करते हुए CID ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इनमें बलविंदर सिंह एक सिम कार्ड वितरक जो फेक अकाउंट एक्टिवेट करता है. इसके अलावा एक सिम कार्ड रिटेलर अंसार खान, जिसने फर्जी आधार आईडी के खिलाफ सिम बेची थी. साथ ही पुलिस ने फर्जी आधार आईडी बनाने वाले सैनी और सद्दाम को भी गिरफ्तार किया है. पुलिस को फिलहाल पांचवे संदिग्ध शकील अहमद की तलाश हैं, जिसने कथित रूप से फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाए थे.
डीएसपी प्रकाश राठौड़ द्वारा दायर एक शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है, “बदमाशों ने पुलिस की वर्दी में एक अधिकारी (एक अधिकारी) की तस्वीर, एक सादे कपड़े में एक के साथ डाउनलोड की और फर्जी प्रोफाइल बनाई और नकल करना शुरू कर दिया. उन्होंने फेसबुक दोस्तों से संपर्क करना शुरू कर दिया परेशानी बताकर पैसे की मांग करने लगे. इसके कारण उनके एक फेसबुक मित्र ने निर्धारित खाते में 2,000 रुपये ट्रांसफर किये.
Posted By: Pawan Singh