मुंबई : सुशांत सिंह की मौत मामले में सवालों के घेरे में आयी मुंबई पुलिस ने आज बड़ा खुलासा किया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जारी टीआरपी की जंग का एक खतरनाक पक्ष उजागर हुआ है. मुंबई पुलिस कमिश्नर ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन अन्य चैनल ने टीआरपी में छेड़छाड़ के लिए पैसे दिये हैं, इस संबंध में BARC ने शिकायत की थी, जिसके आधार पर मुंबई की क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है. पुलिस ने बताया BARC ने देश भर में 30 हजार से ज्यादा बैरोमीटर लगाये हैं और मुंबई में तकरीबन 2000 बैरोमीटर हैं. इनके मेंटेनेंस का जिम्मा हंसा नामक एक एजेंसी को दिया था, यह एजेंसी पैसे लेकर टीआरपी के साथ छेड़छाड़ कर रही थी. अब हमारे लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर यह टीआरपी क्या है जिसे लेकर इतना बवाल मचा हुआ है.
टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट
टीआरपी किसी भी टेलीविजन चैनल या शो के बार में उसकी लोकप्रियता का पैमाना है, जो यह बताता है कि कितने लोगों ने कितने समय तक किसी चैनल या शो को देखा. इस रेटिंग के आधार पर किसी भी शो या चैनल का विज्ञापन निर्धारित होता है यानी यह पूरी तरह से रेव्यू का मामला है. रिपोर्ट के अनुसार देश में सालाना 34 हजार करोड़ रुपए के टीवी विज्ञापन का मार्केट है, जिसे लेकर टीवी चैनल आपस में उलझते रहते हैं और अपनी टीआरपी बढ़ाना चाहते हैं.
BARC तय करता है TRP
टीआरपी को तय करने के लिए सैंपलिंग का सहारा लिया जाता है, यानी यह आंकड़ा सौ प्रतिशत सत्य नहीं है बल्कि एक अनुमान पर आधारित है. भारत में इतने घरों में टीवी हैं और कौन कब क्या देख रहा है इसका पता लगाना बहुत कठिन है. इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों से सैंपलिंग की जाती है. BARC ने देश भर में 30 हजार से ज्यादा बैरोमीटर लगाये हैं, जिनके जरिये आंकड़ा लिया जाता है. जो आंकड़ा मिलता है उसी के आधार पर टीआरपी तय की जाती है.बैरोमीटर से यह बता चलता है कि किसी घर में कौन सा चैनल चल रहा है.
‘फेक टीआरपी’ की क्या होगी सजा
मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘फेक टीआरपी’ के जरिये मुंबई पुलिस के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि पैसे देकर टीआरपी को बढ़ाया जा रहा था. इसलिए पुलिस ने मामले के आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है. आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज होगा और दोषी पाये जाने पर सात साल तक की सजा हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी लग सकता है. वहीं धारा 409 के तहत दोषी पाये जाने पर अधिकतम 10 साल तक की सजा हो सकती है. यह धारा गंभीर है, क्योंकि यह गैर जमानती धारा के तहत आता है. लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन करने पर 409 के तहत मामला दर्ज होता है और अधिकतम 10 वर्ष और जुर्माने की सजा हो सकती है.
Posted By : Rajneesh Anand