कुल्लू क्षेत्र में सेब की गिरती कीमतों, मेडिकल कॉलेज की मांग और पर्यटन को समर्थन प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उभरे हैं, जहां से 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में चार विधायक प्रतिनिधित्व करते हैं. बागवानों का कहना है कि उर्वरकों, कीटनाशकों की ऊंची कीमतों और सरकारी समर्थन में कमी के कारण बढ़ती लागत ने सेब की खेती को घाटे का सौदा बना दिया है. कुल्लू क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर्यटन और बागवानी पर निर्भर है और इसमें मनाली, कुल्लू सदर, बंजार और अन्नी की चार विधानसभा सीटें हैं.
मनाली में सेब उत्पादक नरेश चौधरी ने कहा कि सेब उत्पादक यहां नाखुश हैं क्योंकि दरें 2012 और 2013 के स्तर तक गिर गयी हैं. अडानी-अंबानी भी दरों में हेरफेर करा रहे हैं. यह मुद्दा इस सेब पट्टी की सभी चार सीटों पर चुनाव को प्रभावित करने वाला है. यहां के सेब उत्पादक पैकेजिंग और अन्य इनपुट सामग्री पर जीएसटी में बढ़ोतरी को लेकर भी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) से खुश नहीं हैं. चौधरी ने कहा कि सेब के विपणन सीजन से ठीक पहले कार्टन की दरों में वृद्धि की गई थी, जिससे हमारी आय प्रभावित हुई. कुल्लू के सेब उत्पादक दुर्गा सिंह ने कहा कि मौजूदा सरकार ने इस क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज खोलने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया. सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि सेब की कीमतों में गिरावट, आय में गिरावट और पैकेजिंग सामग्री पर जीएसटी का असर यहां की चार सीटों पर भाजपा की संभावनाओं पर पड़ेगा.
क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज की मांग और स्थानीय अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन की मांग भी क्षेत्र में प्रमुख चुनावी मुद्दों के रूप में उभरी है. कुल्लू क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और बागवानी पर निर्भर है. स्थानीय व्यवसायी समीर सिंह ने कहा कि कुल्लू का स्थानीय अस्पताल लगभग 10 निर्वाचन क्षेत्रों की जनता की सेवा करता है, लेकिन यहां स्वास्थ्य सुविधाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. सिंह ने कहा कि यहां के लोगों ने इस साल बेहतर सुविधाओं के लिए 45 दिन तक विरोध किया, लेकिन मांगों को पूरा नहीं किया गया.
एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मनाली-मंडी राजमार्ग के लिए अधिग्रहीत भूमि का बेहतर मुआवजा देने का भाजपा का वादा पूरा नहीं हुआ है, जिससे यहां के मतदाता नाराज हैं. एक होटल व्यवसायी ने कहा कि मनाली और रोहतांग के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के लिए पहचान पाने वाले क्षेत्र में पर्यटन संबंधी सुविधाओं का विकास नहीं किया गया है. हिमाचल प्रदेश में होटल और रेस्तरां संघों के राज्य समन्वयक संजीव गांधी कहते हैं कि कोविड अवधि के दौरान राज्य सरकार द्वारा उद्योग की उपेक्षा से भी होटल व्यवसायी परेशान हैं। महामारी के दौरान आतिथ्य उद्योग को कोई वित्तीय मदद नहीं दी गयी थी. निश्चित रूप से, हम सत्ताधारी पार्टी को वोट नहीं देंगे.
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एक स्थानीय स्कूल में शिक्षिका संजना गुप्ता सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों को नहीं भरने पर सरकार से नाराज हैं. गुप्ता ने कहा कि मैं 42 साल की हूं. मैं पिछले पांच साल से सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती का इंतजार कर रही थी. मेरे जैसे कई लोग हैं जो सरकारी भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे हैं. क्षेत्र की एक निजी कंपनी के अधिकारी मंजुल राणा ने कहा कि निजी कर्मचारियों के बारे में कोई नहीं सोच रहा है, जबकि पार्टियां सरकारी कर्मचारियों को पेंशन और भत्तों का वादा कर रही हैं.
भाजपा को असंतुष्ट नेताओं के कारण चारों सीटों पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. मनाली सीट से पार्टी ने विधायक गोविंद सिंह ठाकुर को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री राजकृष्ण गौर के बेटे भुवनेश्वर गौर को टिकट दिया है. भाजपा के बागी महेंद्र सिंह ठाकुर, जिन्हें बेहतर भूमि मुआवजे के लिए लड़ रहे स्थानीय लोगों के समूह ‘फोर-लेन संघर्ष समिति’ का समर्थन प्राप्त है, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. कुल्लू सदर सीट से भाजपा को असंतुष्ट राम सिंह से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है, जहां से नरोत्तम सिंह ठाकुर को टिकट दिया गया है. भगवा पार्टी ने वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन उन्हें हटा दिया क्योंकि उनके बेटे ने बंजार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था. कांग्रेस ने कुल्लू सदर से मौजूदा विधायक सुरेंद्र सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है.
भाजपा ने पार्टी नेताओं के विरोध के बावजूद बंजार से मौजूदा विधायक सुरेंद्र शौरी को मैदान में उतारा है. शौरी को भाजपा के बागी हितेश्वर सिंह के अलावा कांग्रेस उम्मीदवार खिमी राम शर्मा से भी चुनौती मिल रही है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं. शर्मा भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री हैं. अन्नी सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों को असंतुष्टों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. भाजपा ने अपने दो बार के विधायक किशोरी लाल को टिकट नहीं देकर लोकेंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने इस सीट पर 2017 का चुनाव भाकपा उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. कांग्रेस ने 2017 के अपने उम्मीदवार पारस राम पर भरोसा नहीं जताते हुए पहली बार बंसीलाल को टिकट दिया है. पारस राम और किशोरी लाल दोनों निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे मुकाबला आकर्षण का केंद्र बन गया है.