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इश्क का कासिद नहीं रहा, मुंबई में हुआ अमृता के इमरोज का निधन

अमृता और इमरोज आजीवन बिना शादी के एक साथ रहे. 1964 में दोनों ने बिना शादी के एक साथ रहने का फैसला किया था और आजीवन साथ रहे. इमरोज और अमृता का साथ 45 साल रहा.

मशहूर चित्रकार और कवि इमरोज का आज मुंबई में निधन हो गया है. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. 97 साल के इमरोज का असली नाम इंद्रजीत सिंह था, वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे, उन्हें अस्पताल में भरती कराया गया था. उनके निधन की पुष्टि उनके परिवार के एक सदस्य ने की है. इमरोज और साहित्यकार अमृता प्रीतम के साथ और प्रेम की कहानी अद्‌भुत है और आज इस अनोखी प्रेम कहानी का अंत हो गया.

1964 में किया था अमृता के साथ रहने का फैसला

अमृता और इमरोज आजीवन बिना शादी के एक साथ रहे. 1964 में दोनों ने बिना शादी के एक साथ रहने का फैसला किया था और आजीवन साथ रहे. इमरोज और अमृता का साथ 45 साल रहा. इमरोज अमृता से उम्र में सात साल छोटे थे. इस बात को अमृता भी समझती थीं इसलिए उन्होंने अपनी एक रचना में लिखा था-अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते’ कम से कम दोपहर का ताप तो देख लेते. जवाब उन्हें मिला था तुम मेरी जिंदगी की खूबसूरत शाम ही सही लेकिन तुम ही मेरी सुबह, तुम ही दोपहर और तुम ही शाम हो…

अनोखी थी प्रेम कहानी

जब इमरोज और अमृता ने साथ- साथ रहने का निर्णय लिया तो उन्होंने इमरोज से कहा था, ‘एक बार तुम पूरी दुनिया घूम आओ, फिर भी तुम मुझे अगर चुनोगे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं. मैं तुम्हें यहीं इंतजार करती मिलूंगी.’ इसके जवाब में इमरोज ने उस कमरे के सात चक्कर लगाए और कहा, ‘हो गया अब तो…’ इमरोज के लिए अमृता का आसपास ही पूरी दुनिया थी.

रोचक थी अमृता-इमरोज की मुलाकात

अमृता और इमरोज की मुलाकात भी बहुत रोचक है. दरअसल अमृता ने साहिर के नाम अंतिम खत लिखा था और उसे छपने के लिए भेजा जिसमें इमरोज को स्केच बनाना था. उन्होंने अमृता से पूछा यह खत तुमने किसके लिए लिखी है. लेकिन अमृता बता नहीं पायी. फिर मुलाकातों का दौर चला और यह इतना बढ़ा कि अमृता ने इमरोज की बांहों में दम तोड़ा. इमरोज ने अमृता की देखरेख में कोई कमी नहीं की और उनके जाने के बाद कहा- हम जीते हैं, ताकि हमें प्यार करना आ जाये. हम प्यार करते हैं ताकि जीना आ जाये. उसने सिर्फ शरीर छोड़ा है उसकी रूह मेरे साथ है.

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