भारत की इन महिलाओं ने यूट्यूब में अपनी टीचिंग स्टाइल से बनायी अलग पहचान, लाखों में है सब्सक्राइबर्स
आज ऑनलाइन टीचिंग एप्स और खासकर यूट्यूब पर आपको ऐसी कई महिलाएं मिलेंगी, जिन्होंने टीचिंग के बलबूते अपनी एक अलग पहचान बनायी है. इन ऑनलाइन शिक्षकों ने इंटरनेट के जरिये दूर-दराज के उन पिछड़े इलाकों के बच्चों तक भी अपनी पहुंच बनायी है
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन की एक सालाना रिपोर्ट (2019-20) के मुताबिक, भारत में लगभग 97 लाख शिक्षक हैं, जिनमें महिला शिक्षकों की भागीदारी लगभग 49 लाख है. इस तरह से देखा जाये, तो शिक्षण के क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से आगे बढ़ चली हैं. कोरोनाकाल के दौरान ऑनलाइन टीचिंग के बढ़ते चलन ने उन महिलाओं को भी इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया है, जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण घर की दहलीज से बाहर जाकर काम करने में असमर्थ थीं.
आज ऑनलाइन टीचिंग एप्स और खासकर यूट्यूब पर आपको ऐसी कई महिलाएं मिलेंगी, जिन्होंने टीचिंग के बलबूते अपनी एक अलग पहचान बनायी है. इन ऑनलाइन शिक्षकों ने इंटरनेट के जरिये दूर-दराज के उन पिछड़े इलाकों के बच्चों तक भी अपनी पहुंच बनायी है, जिनके पास अच्छे स्कूल या महंगे कोचिंग संस्थान में जाने का विकल्प नहीं होता.
ये कहना गलत नहीं होगा कि ऐसे बच्चों तक मुफ्त में अपनी क्लासेज पहुंचाकर ये शिक्षिकाएं सभी को वास्तविक रूप में शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं.
रोशनी मुखर्जी
चैनल : LearnoHub, सब्सक्राइबर्स :
26 लाख, नेटवर्थ : 2 करोड़ (लगभग)
एग्जाम का डर दूर भगाता है ‘एग्जाम फियर’
रोशनी मूल रूप से धनबाद की रहनेवाली हैं. एक मिडिल क्लास बंगाली परिवार में पली-बढ़ी रोशनी शुरू से ही अपने दम पर कुछ करने का सपना देखती थीं. पढ़ाई में हमेशा से अच्छी रही रोशनी ने शुरुआत में टेक्निकल फील्ड में अपना करियर बनाने का सपना देखा था. पढ़ाई करने के दौरान उन्हें कई बार मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री और कंप्यूटर साइंस के कॉन्सेप्ट्स को समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था. इन्हें वो खुद कोशिश करके समझती थीं और जरूरत पड़ने पर दूसरों को भी अच्छे तरीके से समझाती थीं. यहीं से उन्हें यकीन होने लगा था कि वो अच्छी टीचर बन सकती हैं. पढ़ाई पूरी होने के बाद रोशनी ने कई मल्टीनेशनल कंपनीज में काम भी किया, पर समाज के वो बच्चे जो पैसों या उचित संसाधन के अभाव में सही शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते, उनके लिए कुछ करने का विचार उनके मन से कभी नहीं गया.
अपनी इसी कोशिश के लिए उन्होंने 2011 में ‘एग्जाम फियर’ नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की, जो आज ‘लर्नो हब’ के नाम से जाना जाता है. आज इस यूट्यूब चैनल के 26 लाख से भी ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. यहां वे अपने स्टूडेंट्स को सारा कंटेंट मुफ्त में उपलब्ध करवाती हैं. अपने इस चैनल पर उन्होंने अब तक 7800 से भी ज्यादा वीडियो लेसन्स पोस्ट किये हैं, जो मुख्य रूप से 9वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स और डीआइवाइ साइंस की जानकारी देते हैं. अपने बेहतरीन काम के कारण रोशनी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के ‘100 वीमन अचीवर्स ऑफ इंडिया’ में भी शामिल हो चुकी हैं. साथ ही उन्हें ‘एडूट्यूबर प्रेजिडेंट अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है.
अलीना रईस
चैनल : Aleena Rais Live, सब्सक्राइबर्स : 37 लाख, नेटवर्थ : 7 करोड़ (लगभग)
फ्लूएंट इंग्लिश ने बनाया स्पोकन इंग्लिश ट्रेनर
मूल रूप से लखनऊ की अलीना रईस ऑनलाइन स्पोकन इंग्लिश सीखने वालों के बीच एक जाना-पहचाना नाम हैं. वैसे तो अलीना ने सीए की पढ़ाई की है, पर उनकी इंग्लिश भी काफी अच्छी थी और वो चाहती थीं कि वो इसके जरिये भी अपनी एक पहचान बनाये. उन्होंने खुद इतनी अच्छी इंग्लिश कैसे सीखी, ये बताने के लिए उन्होंने एक वीडियो बनाया था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. तभी उन्हें एहसास हुआ कि लोग इस तरह की चीजें देखना पसंद करते हैं. फिर दोस्तों के साथ फ्यूचर प्लान्स डिसकस करते हुए 2018 में उन्हें इंग्लिश स्पीकिंग ट्रेनिंग कराने का ख्याल आया. ये वो दौर था, जब ऑनलाइन क्लासेज का चलन काफी तेजी से बढ़ने लगा था. हालांकि, उनके माता पिता ने उनके इस फैसले का विरोध किया. क्योंकि उनका मानना था कि यूट्यूब जैसी चीजें कभी कोई करियर ऑप्शन नहीं हो सकतीं. मगर अलीना ने सबको गलत साबित कर दिखाया. आज उनके यूट्यूब चैनल के करीब 37 लाख सब्स्क्राइबर हैं और वे अब तक इंग्लिश स्पीकिंग की ट्रेनिंग से जुड़े 675 वीडियोज पोस्ट कर चुकी हैं.
नेहा अग्रवाल
चैनल : मैथेमेटिकली इंक्लाइंड,
सब्सक्राइबर्स : 14.2 लाख, नेटवर्थ : 36 लाख (लगभग)
मुफ्त मैथ पढ़ाने के लिए ठुकराया 1 करोड़ का ऑफर
जहां मैथ्स से बच्चे डरकर दूर भागते हैं, वहीं नेहा को बचपन से ही मैथ्स से खासा लगाव था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथ्स में एमएससी की डिग्री ली है. टीचिंग में अपना करियर बनाने को लेकर नेहा का रुख हमेशा से ही स्पष्ट था. 2017 में उन्होंने ‘मैथेमेटिकली इंक्लाइंड’ की शुरुआत की और बच्चों को मैथ्स की ऑनलाइन क्लासेज देने लगीं. नेहा की टीचिंग की खास बात ये है कि वो सीरियस लहजे में पढ़ाने की बजाय हंसते-हंसाते पढ़ाना पसंद करती हैं. अपनी क्लासेज के दौरान वो हमेशा एक पॉजिटिव वाइब बनाये रखती हैं, जिससे बच्चे कभी बोर या हताश महसूस नहीं करते. फिलहाल, नेहा यूट्यूब की एकमात्र ऐसी टीचर हैं, जो 11वीं और 12वीं कक्षाओं के मैथ्स की ट्रिक्स बताती हैं. उनके बताने का तरीका ऐसा होता है कि स्टूडेंट उसे आसानी से याद कर पाते हैं. फिलहाल वो अपने यूट्यूब चैनल के जरिये जेइइ, एनडीए, बीआइटीएसएटी, एमएचसीइटी की तैयारी में भी स्टूडेंट्स की हेल्प करती हैं. नेहा को एक ऑनलाइन टीचिंग संस्थान में बतौर टीचर काम करने के लिए करोड़ों का पैकेज भी ऑफर किया गया, मगर उन्होंने साफ इंकार कर दिया और बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के अपने इरादे पर अडिग रहीं.
कंचन केशरी
चैनल : English Connection,
सब्सक्राइबर्स : 1 करोड़, 26 लाख
पेन पेपर से शुरू हुआ सिखाने का सिलसिला
लोगों को फ्लूएंट इंग्लिश सिखाने के लिए कंचन केशरी ने 2015 में ‘इंग्लिश कनेक्शन’ नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की. शुरू में कंचन बस एक पेन पेपर और मोबाइल की मदद से वीडियो क्रिएट कर उसे यूट्यूब पर डाला करती थीं. मगर उनके पढ़ाने का अलग अंदाज लोगों को इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे लोग जुड़ते गये और कारवां बढ़ता गया. आज उनके यूट्यूब चैनल के सवा करोड़ से भी ज्यादा सब्स्क्राइबर हैं. अब तक वो अपने ट्रेनिंग क्लासेज के करीब 1200 वीडियोज पोस्ट कर चुकी हैं. कंचन ने खुद भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी भाषा और साहित्य/पत्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स किया है और अब वो यूट्यूब के माध्यम से बच्चों को इंग्लिश सीखने में मदद कर रही हैं. इस काम में उन्हें उनके पति और बेटी का भी पूरा सहयोग मिला. कंचन के नक्शे कदम पर चलते हुए उनकी बेटी अद्विता केशरी भी इंग्लिश ट्रेनर हैं और उनका नाम सिर्फ पांच साल की उम्र में सबसे कम उम्र की इंग्लिश ट्रेनर बनने के लिए ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स – लंदन’ में भी दर्ज किया गया है.
हिमांशी सिंह
चैनल : Let’s LEARN, सब्सक्राइबर्स : 41.8 लाख, नेटवर्थ : 30-40 लाख
पढ़ने-पढ़ाने का शौक बन गया करियर
दिल्ली की हिमांशी सिंह ने महज 24 साल की उम्र में कई उपलब्धियां हासिल करने के साथ ही टीचिंग में अपनी अलग पहचान भी बनायी है. जहां इस उम्र के बच्चे अपने करियर के लिए चिंतित रहते हैं, हिमांशी ने यह साबित किया है कि कैसे हम अपने लक्ष्य को कठिन परिश्रम से हासिल कर सकते हैं. हिमांशी के माता-पिता दोनों ही टीचर हैं और वह खुद भी हमेशा से अपना करियर इसी फील्ड में बनाना चाहती थी. पढ़ाने का शौक तो उन्हें ऐसा था कि अक्सर बचपन में वो अपने माता-पिता के स्कूल में खुद से छोटे बच्चों को पढ़ाती रहती थी. दिल्ली विवि से शिक्षण में 2 वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम करने के बाद उन्होंने सीटीइटी पास किया.
बस इसके बाद ये सफर कभी नहीं रुका. 2016 में उन्होंने ‘लेट्स लर्न’ नाम से अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया और अपना पहला वीडियो ‘हाउ टू क्रैक सीटीइटी विदाउट कोचिंग’अपलोड किया. लोगों ने इसे खूब पसंद किया. हालांकि, ये काम उन्होंने शौकिया तौर पर शुरू किया था. बाद में उनके इसी शौक ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया. ‘लेट्स लर्न’ आज दिल्ली का सबसे बड़ा कोचिंग संस्थान बन चुका है. आज उनके यूट्यूब चैनल पर करीब 42 लाख सब्स्क्राइबर हैं. अपने चैनल के जरिये वो मुख्य रूप से सीटीइटी, टीइटीएस, डीएसएसएसबी, केवीएस, एनवीएस जैसे टीचिंग एग्जाम्स की तैयारी हिंदी में करवाती हैं और ये सब भी बिल्कुल मुफ्त. उनकी टीचिंग की खासियत है कि वो मुश्किल से मुश्किल टॉपिक को भी बड़े आसान शब्दों में समझा देती हैं.