नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सिंघु बॉर्डर, गाजियाबाद और टिकरी बॉर्डर पर करीब एक साल तक किसानों के आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है और किसान संगठनों ने इस पर अपनी सहमति की मुहर भी लगा दी है. लेकिन, लगता कि किसान संगठन एक नई खिचड़ी पकाने में फिर से जुट गए हैं. इसी सिलसिले में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राकेश टिकैत समेत कई नेताओं ने शनिवार को नई दिल्ली में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की.
मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि बीकेयू के राकेश टिकैत समेत किसान संगठनों के नेताओं ने किसानों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान किसान नेताओं ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून के मुद्दे पर भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र हुड्डा के साथ चर्चा की. बता दें कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के चिंतन शिवर के लिए पार्टी द्वारा गठित किसान एवं कृषि समिति के संयोजक भी बनाया गया था.
Farmers sat at border for one yr. They had said from the beginning that the three laws are not in farmers' interest. I had said that if they bring 3 ordinances, they should bring the fourth too that if someone purchases at a price lower than MSP, they should be punished: BS Hooda pic.twitter.com/TIR47IiaJl
— ANI (@ANI) May 7, 2022
मुनाफोखोरों की सजा के लिए चौथा अध्यादेश भी लाए सरकार
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत समेत अन्य किसान नेताओं से मुलाकात के बाद पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि किसान एक साल तक सीमा पर बैठे रहे. उन्होंने शुरू से ही कहा था कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं. मैंने कहा था कि अगर वे तीन अध्यादेश लाते हैं, तो एक चौथा भी लाएं कि अगर कोई एमएसपी से कम कीमत पर खरीद करता है, तो सजा दी जानी चाहिए.
हुड्डा का नए एमएसपी कानून पर जोर
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नया एमएसपी कानून बनाने पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी एमएसपी से कम कीमत पर फसल को खरीदता है, तो उसके लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए. एमएसपी की गारंटी मिले. इसके अलावा, और भी कई मुद्दे हैं. उन्होंने कहा कि देशभर से कई राज्यों से किसान नेता यहां मुलाकात के लिए आए और उन्होंने अपने-अपने सुझाव दिए.
किसान नेताओं ने रखी मांग
किसान नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों की मूल मांग यह है कि एमएसपी गारंटी कानून के तहत फसलों की खरीद सरकार की ओर से की जाए या फिर किसी निजी संस्था करे, एमएसपी से कम कीमत पर किसी की भी खरीदारी पर रोक लगे. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, किसानों ने यह भी कहा कि सरकार की आयात-निर्यात नीति से किसानों को नुकसान नहीं होना चाहिए.
378 दिनों तक चला था किसानों का आंदोलन
बताते चलें कि केंद्र सरकार की ओर से जून 2020 में तीन नए कृषि कानून बनाया गया था. सरकार के इन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसान संगठनों ने 2020 के नवंबर महीने में व्यापक स्तर पर आंदोलन की शुरुआत की. करीब 378 दिनों तक चला किसानों का यह आंदोलन 11 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के साथ ही खत्म हो गया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने संसद से पास तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की और उन्होंने एमएसपी पर कानून बनाने को लेकर किसानों को आश्वासन भी दिया.