Farmer Protest: 10 मार्च को देशभर में किसानों का रेल रोको अभियान, बार्डर पर ताकत बढ़ाने की तैयारी
Farmer Protest: किसान अपनी मांग पर अभी भी अड़े हैं. किसान संगठनों ने फैसला किया है कि आगामी 10 मार्च को किसान रेल रोको आंदोलन करेंगे. किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा है कि किसानों का दिल्ली कूच मार्च कार्यक्रम जारी है. उन्होंने बॉर्डर पर अपनी ताकत बढ़ाने की बात कही है.
Farmer Protest: किसानों का आंदोलन जारी है. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किसान पंजाब-हरियाणा से लगने वाली दिल्ली के बॉर्डर पर अभी भी डटे हुए हैं. वहीं, किसानों ने कहा है कि वे किसान 6 मार्च को बिना ट्रैक्टर ट्राली के दिल्ली कूच करेंगे. इसके अलावा किसान 10 मार्च को पूरे देश में रेल रोको आंदोलन भी करेगी. किसानों ने कहा है कि उनका रेल रोको आंदोलन तीन घंटे के लिए होगा. किसान रेल रोको आंदोलन के तहत 12 बजे से लेकर 4 बजे तक रेल रोकेंगे.
जारी है किसानों का आंदोलन
किसानों के आंदोलन को लेकर किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा है कि हमारा दिल्ली कूच करने का कार्यक्रम जस का तस है, हम उससे पीछे नहीं हटे हैं. उन्होंने कहा है कि हम बॉर्डर पर अपनी ताकत बढ़ाएंगे. 6 मार्च को किसान पूरे देश से ट्रेन, बस, हवाई मार्ग से दिल्ली आएंगे और हम देखेंगे कि सरकार उन्हें वहां बैठने की इजाजत देगी या नहीं. 10 मार्च को हम 12 बजे से देशभर में रेल रोको विरोध प्रदर्शन करेंगे.
सरकार का ध्यान चुनाव पर है- पंधेर
इससे पहले किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा था कि सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है क्योंकि उसका पूरा ध्यान आगामी लोकसभा चुनाव जीतने पर है. उन्होंने कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देनी चाहिए और प्रदर्शनकारी किसानों की अन्य मांगों को पूरा करना चाहिए. पंधेर ने कहा कि किसानों पर ध्यान देने के बजाय, उनका ध्यान इस बात पर है कि चुनाव कैसे जीता जाए. उन्होंने यह भी कहा कि मांगें पूरी होने तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी अन्य मांगों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते दिल्ली चलो मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. बता दें, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं. भाषा इनपुट के साथ