और तेज होगा किसानों का आंदोलन, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में हर दिन पहुंचेंगे 500 ट्रैक्टर
शीतकालीन सत्र की शुरुआत 29 नवंबर से शुरू हो रही है. किसान आंदोलन प्रदर्शन के दायरे को बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर ले जाने की रणनीति पर सहमति बनी है. इस बैठक में किसानों के कई बड़े नेता मौजूद थे.
तीनों कृषि कानून को लेकर किसान लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अब संयुक्त किसान मोरचा ने आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद भवन मार्च करने का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को सिंघु बॉर्डर के पास हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है. किसान आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर रणनीति तैयार कर रहे हैं.
शीतकालीन सत्र की शुरुआत 29 नवंबर से शुरू हो रही है. इस सत्र में किसान अपनी बात रख सकें इसके प्रदर्शन के दायरे को बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर ले जाने की रणनीति पर सहमति बनी है. इस बैठक में किसानों के कई बड़े नेता मौजूद थे. 29 नवंबर से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा.
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इस आंदोलन की रणनीति पर संयुक्त किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय कमेटी ने सहमति जाहिर की है. पहले भी किसान ट्रैक्टर रैली कर चुके हैं. दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली काफी विवादों में रही थी. इस ट्रैक्टर रैली के दौरान कई लोग घायल हो गये थे. इस बार भी किसानों ने ट्रैक्टर रैली का फैसला लिया है लेकिन उन्हें यह सख्त हिदायत दी गयी है कि जहां भी आपको रोका जायेगा वहीं बैठ जायें.
किसान तीनों कृषि कानून को लेकर लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पूर्वांचल क्षेत्र में प्रदर्शन और तेज होगा. दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन का एक साल पूरा होने से चार दिन पहले 22 नवंबर को लखनऊ में किसान महापंचायत का आयोजन किया जायेगा. यह ऐतिहासिक होगी.
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किसान संगठन इन आंदोलन को अब पूर्वांचल में मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं. ध्यान रहे कि पंजाब और यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. लखनऊ में आयोजित होने वाली इस महापंचायत की नजर यूपी चुनाव पर भी है. पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान किसान यहां भी पहुंचे थे. अब इन चुनावों में भी किसान अपनी बात रख सकते हैं.