रद्द होगा किसान आंदोलन या एक साल बाद भी नहीं बनेगी बात, आज तस्वीर होगी साफ
तीन कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. वहीं, आज दोपहर किसान संगठनों की अहम बैठक होने वाली है जिसमें आंदोलन को आगे जारी रखा जाएगा या नहीं इस पर फैसला लिया जा सकता है.
तीन कृषि कानूनों(Farm Law) के रद्द होने के बाद भी अपनी दूसरी मांगों को लेकर लगातार आंदोलनरत रहे किसान संगठनों(Farmers organizations) के लिए आज का दिन अहम साबित हो सकता है. दरअसल गुरुवार यानी आज 12 बजे किसान संगठनों की बैठक होनी है. जिसमें किसान आंदोलन को रद्द करने पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है. आपको बता दें कि किसान अपनी दूसरी मांगों को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव भेजा गया था. जिसे किसान संगठनों ने मान लिया है. जिसमें बिना किसी शर्त के आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेना शामिल है.
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार सभी मामलों को वापस लेने के लिए सहमत हो गई है. आंदोलन सफलता की ओर बढ़ रहा है. बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा(SKM) गुरुवार दोपहर दिल्ली की सिंघू सीमा पर बैठक करेगा. जिसमें 32 यूनियनों की तरफ से सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर एक साल से भी अधिक समय से चल रहे विरोध को खत्म करने पर औपचारिक निर्णय लिया जाएगा. इधर एसकेएम की 5 सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक में आज सरकार से प्राप्त नए मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी. जिसके बाद आंदोलन वापस लेने के संबंध में एसकेएम निर्णय लेगा.
The new draft proposal received from the Govt will be discussed in the meeting of Samyukt Kisan Morcha (SKM) today. Accordingly, the SKM will take a decision (regarding withdrawing the agitation): Ashok Dhawale, a member of SKM's five-member committee pic.twitter.com/5Xghlz1vNy
— ANI (@ANI) December 9, 2021
इन राज्यों ने वापस लिए दर्ज मामलें
किसान संगठनों(Farmers organizations) की एक बैठक के बाद बुधवार को एसकेएम ने यह संभावना जताई है कि आंदोलन को या तो बंद कर दिया जाएगा या अस्थाई रुप से निलंबित कर दिया जाएगा. द इंडियन एक्सप्रेस ने अपने सूत्रों के हवाले से अपने एक रिपोर्ट में कहा है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की सरकारें यानी ज्यादातर बीजेपी शासित राज्यों ने किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने पर राजी हो गए हैं.
MSP पर भी बनी सहमति
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर भी किसान संगठनों(Farmers organizations) और सरकार के बीच बात बन गई है. एमएसपी(MSP) के लिए प्रस्तावित समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने समिति के जनादेश को लेकर पूरी स्पष्टता दी है. इसमें ये सुनिश्चित किया जाएगा कि एमएसपी का पूरा लाभ सभी किसानों को कैसे दिया जा सकता है.