farmers protest : 25 लोगों ने मिलकर बनाया खाना कहा, सौभाग्य है किसान भाइयों को खाना खिलाने का अवसर मिला
पंजाब के संगरूर ज़िले में स्थित मलेरकोटला के 25 लोगों ने मिलकर दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए खाना बनाया है. सड़क के किनारे ही लकड़ी के चुल्हों पर बड़ी- बड़ी हंडियों में किसानों के लिए खाना बनाया गया. 25 लोगों के इस समूह ने ना सिर्फ खाना बनाया बल्कि किसानों तक इस खाने को पहुंचाया और खाना भी खिलाया.
पंजाब के संगरूर ज़िले में स्थित मलेरकोटला के 25 लोगों ने मिलकर दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए खाना बनाया है. सड़क के किनारे ही लकड़ी के चुल्हों पर बड़ी- बड़ी हंडियों में किसानों के लिए खाना बनाया गया. 25 लोगों के इस समूह ने ना सिर्फ खाना बनाया बल्कि किसानों तक इस खाने को पहुंचाया और खाना भी खिलाया.
A group of 25 people from Malerkotla, Punjab cooks and serves food to agitating farmers at Delhi-Haryana border in Singhu. "We are fortunate to have got a chance to serve our farmer brothers," says Mubin Farooqui, a member of the group. pic.twitter.com/p8gZrtm2nY
— ANI (@ANI) December 3, 2020
इस ग्रुप में शामिल मुबीन फारूकी ने खाना बनाने के अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा, हमारा सौभाग्य है कि हमें किसान भाइयों को खाना खिलाने का अवसर मिला है. किसान इस आंदोलन में शामिल है और खुद ही खाना बनाकर खा रहे हैं. इस आंदोलन के समर्थन में कई लोग हैं जो अपने – अपने तरीके से किसानों की मदद कर रहे हैं.
Also Read: Jobs in india :बेरोजगारों के लिए राहत की खबर, इन क्षेत्रों में लौट रहीं है नौकरियां
कई लोगों ने खाना, पानी तो कई लोगों ने कंबल देकर किसानों की मदद की कोशिश की है. किसान जहां आंदोलन कर रहे हैं वही पर खाने की भी व्यस्था कर रहे हैं. आज जब विज्ञान भवन में किसान नेताओं के लिए खाने की व्यस्था की गयी थी तो भी किसानों ने लंगर से खाना मंगवा कर खाया. किसान नेताओं ने सरकार के द्वारा दिये जा रहे खाने को खाने से मना कर दिया.
किसान बैठक के बाद लंच के वक्त अपने लंगर से खाना मंगवा लिया. वहां से खाना आने के बाद ही किसानों ने खाना खाया. सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच की बातचीत जारी है. अगली बैठक 5 दिसंबर को होनी है. इस बैठक में संभव है कि आंदोलन कर रहे किसान और सरकार के बीच सहमति बने.
आज के दौर की बातचीत भी कई मामलों में अहम रही. सरकार ने यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि इस नये बिल से किसानों का फायदा होगा. एमएसपी को लेकर किसानों के बीच के डर को खत्म करने की कोशिश की है दूसरी तरफ किसान कृषि विधेयक वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. किसानों के इस आंदोलन को कई जगहों से समर्थन मिल रहा है.