केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन (Farmers protest against farm laws ) के बीच प्रधानमंत्री मोदी (PM MODI) ने जहां कहा है कि संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप काफी विचार-विमर्श के बाद दिया जिनसे किसानों को ‘‘नए अधिकार और नए अवसर” मिले हैं. वहीं केंद्र सरकार पर शिवसेना ने करारा प्रहार किया है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि जिस तरह से किसानों को दिल्ली में आने से रोका गया है ऐसा लग रहा है कि वे देश के किसान नहीं बल्कि बाहर के किसान है…किसानों के साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया गया है. इस तरह का बर्ताव करना देश के किसानों का अपमान करना है.
क्या कहा पीएम मोदी ने : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं. बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं. किसानों की वर्षों से कुछ मांगें थीं और उन्हें पूरा करने के लिए हर राजनीतिक दल ने कभी न कभी वादा किया था, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं. आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद ने काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया. इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी मिले हैं.
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विपक्षी दल कर रहे हैं विरोध : आपको बता दें कि संसद द्वारा मानसून सत्र में पारित तीन कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद कानूनों के रूप में लागू किया जा चुका है जिनका कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और अनेक किसान सड़कों पर उतर आए हैं.
जिस तरह से किसानों को दिल्ली में आने से रोका गया है ऐसा लगता है कि वे देश के किसान नहीं बल्कि बाहर के किसान है। उनके साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया गया है। इस तरह का बर्ताव करना देश के किसानों का अपमान करना है: संजय राउत, शिवसेना pic.twitter.com/KyQmvyzDNw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2020
नए कृषि कानूनों को ‘ठीक से समझ’ नहीं पाए हैं आंदोलनकारी किसान : नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने कहा है कि आंदोलन कर रहे किसान नए कृषि कानूनों को पूरी तरह या सही प्रकार से समझ नहीं पाए हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन कानूनों में किसानों की आय को बढ़ाने की काफी क्षमता है. चंद ने कहा कि इन कानूनों का मकसद वह नहीं है, जो आंदोलन कर रहे किसानों को समझ आ रहा है. इन कानूनों का उद्देश्य इसके बिल्कुल उलट है. चंद ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि जिस तरीके से मैं देख रहा हूं, मुझे लगता है कि आंदोलन कर रहे किसानों ने इन कानूनों को पूरी तरह या सही तरीके से समझा नहीं है.
Posted By : Amitabh Kumar