Farmers Protest : कमेटी से भूपिंदर सिंह मान के अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, सदस्य कोई जज नहीं
Farm Laws नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 55 दिनों से जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा देने के साथ ही गतिरोध खत्म करने के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी भी बनायी थी. हालांकि, बाद में भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया. कमेटी से भूपिंदर सिंह मान के अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को समझने में कुछ भ्रम है. कमेटी का हिस्सा होने से पूर्व एक व्यक्ति की कोई राय हो सकती है. लेकिन, उसकी राय बदल भी सकती है.
Farm Laws नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले 55 दिनों से जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा देने के साथ ही गतिरोध खत्म करने के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी भी बनायी थी. हालांकि, बाद में भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया. कमेटी से भूपिंदर सिंह मान के अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को समझने में कुछ भ्रम है. कमेटी का हिस्सा होने से पूर्व एक व्यक्ति की कोई राय हो सकती है. लेकिन, उसकी राय बदल भी सकती है.
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अनिल घनवट के अलावा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि-अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी को इस समिति का सदस्य बनाया था. बाद में भूपिंदर सिंह मान ने समिति से अलग होने का निर्णय सुनाया. एक प्रमुख न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक व्यक्ति ने इस मामले पर विचार रखा, वह समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं हो सकता. समिति के सदस्य कोई जज नहीं होते हैं. सदस्य केवल अपनी राय दे सकते है. फैसला जज ही लेंगे. कोर्ट ने लीगल सर्विस अथॉरिटी के जरिये अपील दाखिल होने में हो रही देरी को लेकर एक कमेटी बनायी और उसी दौरान ये टिप्पणी की.
उल्लेखनीय है कि नये कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से बनायी गयी पैनल की पहली बैठक मंगलवार को संपन्न हुई. बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों पर गठित की गयी कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने जानकारी देते हुए बताया कि आज की बैठक में तय हुआ है कि किसानों के साथ पहली बैठक 21 जनवरी को सुबह 11 बजे होगी. अनिल घनवट ने कहा कि इस बैठक में जो किसान संगठन शामिल नहीं हो सकेंगे, हम उनकी राय वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जानेंगे. उन्होंने कहा कि पैनल केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है. पैनल के सदस्य सुप्रीम कोर्ट में जमा करने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कृषि कानूनों पर अपनी निजी राय को अलग रखेंगे.
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Upload By Samir Kumar