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Farmers Protest : नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को दिया चर्चा का न्यौता, कहा – जिद छोड़ें, सभी शंकाओं का समाधान होगा

Farmers Protest : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों से आग्रह किया कि वे सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार करें और चर्चा के लिए आगे आयें. उन्हें जो दिक्कत है हम उनका समाधान करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2020 5:39 PM

नयी दिल्ली : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों से आग्रह किया कि वे सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार करें और चर्चा के लिए आगे आयें. उन्हें जो दिक्कत है हम उनका समाधान करेंगे. कोई भी कानून पूरी तरह गलत नहीं होता, जिन पक्षों पर किसानों को आपत्ति है हम उनपर बात करने के लिए तैयार हैं.

उन्हें कानून को रद्द करने की मांग छोड़कर अपनी समस्याओं पर बात करनी चाहिए. वे अगर मुद्दों पर बात करेंगे तो सरकार उनपर विचार करेगी. हमें किसानों की बहुत चिंता है. हमने प्रस्ताव में भी कहा है कि सरकार एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर रही है. इसका भरोसा हम लिखित में भी दे सकते हैं. उन्हें कोई आशंका नहीं होनी चाहिए.

किसान इतनी ठंड में दिल्ली में आसमान के नीचे बैठे हैं, हमें उनकी चिंता है. अभी देश में कोरोना का संकट भी है, इसलिए हम ये चाहते हैं कि वे अपने मुद्दों पर बात करें और आंदोलन समाप्त करें, ताकि सबकुछ ठीक हो जाये.

नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बातचीत के दौरान कुछ लोगों ने कहा कि कृषि बिल अवैध है क्योंकि कृषि राज्यों का मामला है इसलिए केंद्र इसपर कानून नहीं बना सकता. हमने उन्हें स्पष्ट किया कि हम व्यापार पर कानून बना सकते हैं. हमने उन्हें बताया कि APMC और MSP इससे प्रभावित नहीं है.

किसानों को यह बताया जा रहा है कि उनकी जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक में ठेके पर खेती होती है, लेकिन किसी की भी जमीन नहीं छीनी है.

बावजूद इसके हमने अधिनियम में पहले ही प्रावधान कर दिया है कि इन कानूनों के तहत समझौता केवल उपज करने वाले और किसानों की उपज के बीच होगा. किसानों की भूमि पर किसी भी पट्टे या समझौते का कोई प्रावधान नहीं है.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि कानून में यह प्रावधान है कि किसी फसल की खेती के लिए कोई बुनियादी ढांचा जमीन पर तैयार किया जाता है, तो उपज के बाद उपज करने वाले को वह ढांचा वहां से हटाना है, अगर ऐसा नहीं होता है तो वह ढांचा किसान का होगा यह व्यवस्था कानून में है. इसलिए मेरा आग्रह किसानों से है कि वे सामने आयें और बात करें, सरकार उनके साथ खड़ी है.

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Posted By : Rajneesh Anand

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