ट्रैक्टर रैली में भड़की हिंसा के बाद किसान आंदोलन कमजोर पड़ता नजर आ रहा है. हिंसा को शर्मनाक बताते हुए दो किसान संगठनों ने आंदोलन से अपना रिश्ता तोड़ लिया और बॉर्डर से लौटने लगे. वहीं बुधवार को कई किसान संगठनों ने ट्रैक्टर रैली को लेकर बैठक की. बैठक में किसान नेताओं ने तय किया कि 1 फरवरी बजट के दिन संसद मार्च नहीं करेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (आर) के नेता बलबीर एस राजेवाल ने कहा, शहीद दिवस के दिन हम पूरे देश में सार्वजनिक रैलियां करेंगे. हम एक दिन का उपवास भी रखेंगे. उन्होंने बताया 26 जनवरी को हुई हिंसा के कारण 1 फरवरी को संसद मार्च स्थगित कर दिया गया है.
किसान नेता दर्शन पाल ने भी बताया, एक फरवरी को बजट पेश किए जाने के दिन संसद मार्च की योजना रद्द कर दी गयी है. किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा पर स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, लाल किला की घटना पर हमें खेद है और हम इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं.
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, 30 जनवरी को देश भर में आम सभाएं व भूख हड़ताल आयोजित की जाएंगी. उन्होंने आगे कहा, हमारा आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. किसान नेता शिवकुमार कक्का ने हिंसा के संबंध में कहा, हमारे पास वीडियो क्लिप हैं, हम पर्दाफाश करेंगे कि किस प्रकार हमारे आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गयी.
गौरतलब है कि दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में 300 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद इस मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं. वहीं दो किसान संघों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन से बुधवार को अलग होने का फैसला किया.
दिल्ली पुलिस ने कहा कि 25 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि 50 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिये विभिन्न वीडियो और सीसीटीवी फुटेज देखी जा रही हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस ने कहा कि समयपुर बादली में दर्ज प्राथमिकी में टिकैत, यादव, दर्शन पाल और चढ़ूनी समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं और उनकी भूमिका की जांच की जाएगी. प्राथमिकी में आईपीसी की कई धाराओं का उल्लेख है जिनमें 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगों के लिए सजा), 353 (किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकना) और 120बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं.
किसान संघ लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि असामाजिक तत्वों ने कृषि कानूनों के खिलाफ उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नष्ट करने के लिये हिंसा की साजिश रची थी, हालांकि मंगलवार को हुई हिंसा को लेकर बड़े पैमाने पर हो रही आलोचना का असर दिख रहा है और भारतीय किसान यूनियन (भानु) और ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन से हटने का फैसला किया है.
Posted By – Arbind kumar mishra