चंडीगढ़ : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ अवार्ड वापसी का अभियान शुरू हो गया है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) ने कृषि कानूनों (Farm laws 2020) के खिलाफ पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) और शिरोमणि अकाली दल (लोकतांत्रिक) प्रमुख राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींढसा ने पद्म भूषण पुरस्कार (Padma Bhushan) वापस कर दिया है. इसी कानून के विरोध में पूर्व में शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) की नेता हरसिमरत कौर (Harsimrat Kaur) ने एनडीए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. साथ ही अकाली दल ने 22 साल पुराने अपने संबंध को तोड़ दिया था. पार्टी ने एनडीए (NDA) से नाता तोड़ दिया, लेकिन एनडीए को बाहर से समर्थन देना जारी रखा.
प्रकाश सिंह बादल ने कहा, ‘मैं जो हूं , वो जनता के कारण हूं, खासतौर पर आम किसान के कारण. आज जब उसने अपने सम्मान से ज्यादा खोया है तो ऐसे में मुझे पद्म विभूषण पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं समझ आता.’ पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘प्रकाश सिंह बादल ने भारत सरकार द्वारा किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी, बेरूखी और कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चल रहे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन पर सरकार के रुख के विरोध में पद्म विभूषण लौटा दिया है.’
बादल ने कहा कि किसान जीने के अपने मूलभूत अधिकार की रक्षा के लिए कड़ाके की ठंड में कड़ा संघर्ष कर रहे हैं. इधर केंद्र सरकार और किसानों के बीच चौथे चरण की वार्ता चल रही है. इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. कैप्टन सिंह ने शाह से किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए जल्द फैसला लेने का आग्रह किया है.
किसान संगठनों के नेताओं के साथ तीन केंद्रीय मंत्रियों की बातचीत की. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और पंजाब से सांसद एवं वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. सरकार ने बताया कि वार्ता दोपहर को आरंभ हुई और सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत जारी है.
नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की चिंताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया था. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच एक दिसंबर को हुई बातचीत बेनतीजा रही थी. सरकार ने कानून निरस्त करने की मांग अस्वीकार कर दी थी और किसान संगठनों से कहा था कि वे हाल में लागू कानूनों संबंधी विशिष्ट मुद्दों को चिह्नित करें और गुरुवार को चर्चा के लिए दो दिसंबर तक उन्हें जमा करें.
भाषा इनपुट के साथ
Posted By: Amlesh Nandan.