नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने गतिरोध तोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को पूरी तरह से खारिज कर दिया और समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया. सिंघू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य सरकार समर्थक हैं.
किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि उनका प्रदर्शन जारी रहेगा और संसद को मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए और इसका समाधान करना होगा. कृषि कानूनों को वापस लेने तक वो पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. किसान नेताओं ने कहा, हम कोई बाहरी समिति नहीं चाहते हैं. हालांकि इस बीच किसान नेताओं ने 15 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में शामिल होने की बात कही है.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के सदस्य विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे लिखते रहे हैं कि कृषि कानून किसानों के हित में है. हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे. किसान नेता ने कहा कि संगठनों ने कभी मांग नहीं की कि उच्चतम न्यायालय कानून पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करे. किसान नेता ने आरोप लगाया कि इसके पीछे केंद्र सरकार का हाथ है. उन्होंने कहा, हम सैद्धांतिक तौर पर समिति के खिलाफ हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनायी गयी कमेटी में बीकेयू के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनावत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं.
प्रदर्शन से ध्यान भटकाना चाहती है सरकार
किसान नेताओं ने कहा, सरकार प्रदर्शन से उनका ध्यान भटकाना चाहती है. उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द नहीं कर दिया जाता है, जब तक वे लोग प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगे और बॉर्डरों पर जमे रहेंगे.
लोहड़ी में जलाये जाएंगे तीनों कृषि कानून
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, कल हम लोहड़ी मना रहे हैं जिसमें हम तीन कृषि कानूनों को जलाएंगे, 18 जनवरी को महिला दिवस है और 20 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश उत्सव है. इन मौकों पर भी उन्होंने जोरदार प्रदर्शन की चेतावनी दी.्र
26 जनवरी को ऐतिहासिक प्रदर्शन की चेतावनी
किसान नेताओं ने 26 जनवरी को ऐतिहासिक प्रदर्शन करने की चेतावनी दे दी है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, हमारा 26 जनवरी का प्रोग्राम पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा, जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है जैसे किसी दुश्मन देश पर हमला करना हो, ऐसी गैर जिम्मेदार बातें संयुक्त किसान मोर्चा की नहीं हैं. 26 जनवरी के प्रोग्राम की रूपरेखा हम 15 जनवरी के बाद तय करेंगे.
कांग्रेस ने भी कमेटी पर उठाया सवाल
किसान नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायी गयी कमेटी पर सवाल उठाया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने आज किसानों से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई है. कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले कानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं. ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?
उन्होंने आगे कहा, ये 3 काले कानून देश की खाद्य सुरक्षा पर हमला हैं, जिसके 3 स्तंभ हैं- सरकारी खरीद, MSP, राशन प्रणाली जिससे 86 करोड़ लोगों को 2 रुपये किलो अनाज मिलता है. इसलिए कांग्रेस 3 कृषि कानूनों का विरोध तब तक करती रहेगी जब तक मोदी सरकार इन्हें खत्म नहीं कर देती.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी. मालूम हो हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं.