Farmers Protest: किसानों तक PM मोदी की बात पहुंचाने में मदद कर रहा है IRCTC, जानें पूरा मामला
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार (Csntral Government) के तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों तक सरकार की बात पहुंचाने में आईआरसीटीसी (IRCTC) मदद कर रहा है. आईआरसीटीसी किसानों को एक ई-मेल भेज रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और सिखों के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाया गया है. हालांकि ई-मेल में किसान आंदोलन के बारे में कोई जिक्र नहीं है और न ही कृषि कानूनों का जिक्र किया गया है.
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार (Csntral Government) के तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों तक सरकार की बात पहुंचाने में आईआरसीटीसी (IRCTC) मदद कर रहा है. आईआरसीटीसी किसानों को एक ई-मेल भेज रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और सिखों के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाया गया है. हालांकि ई-मेल में किसान आंदोलन के बारे में कोई जिक्र नहीं है और न ही कृषि कानूनों का जिक्र किया गया है.
माना जा रहा है कि आईआरसीटीसी केंद्र सरकार की सिखों से जुड़ी कुछ कामों को उनके सामने रखकर किसानों को सरकार के पक्ष में करना चाहता है. जबकि आईआरसीटीसी की ओर से बताया गया कि सरकार की ओर से एक बुकलेट कुछ दिनों पहले ही जारी की गयी थी. इस 47 पन्नों की बुकलेट को उन लोगों को भेजा जा रहा है, जिनका उपनाम सिंह है और वे पंजाब से ताल्लुक रखते हैं.
रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक ई-मेल भेजना लोगों तक पहुंचने का एक हिस्सा है. इसका कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. आईआरसीटीसी वैसे लोगों को ई-मेल भेज रहा है, जिन्होंने टिकट बुक करते समय वेबसाइट पर अपना ई-मेल आईडी रजिस्टर्ड किया है. मेल केवल पंजाब के लोगों को भेजा जा रहा है. सिंह उपनाम वालों को भी यह मेल भेजा गया है.
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इस मेल में जो पीडीएफ फाइल अटैच किया गया है, वह हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषा में है. यह बुकलेट सूचना और जनसंपर्क विभाग की ओर से हाल ही में जारी किया गया है. बुकलेट की शुरुआत पीएम को दिए कौमी सेवा पुरस्कार से हुई है. बुकलेट में सिखों के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाये गये 13 प्रमुख उपायों के बारे में भी जानकारी दी गयी है. श्री हरमंदिर साहिब को एफसीआरए पंजीकरण की मंजूरी, पहली बार लंगर के लिए किसी तरह का टैक्स ना देना, श्री करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण, तीन दशक बाद दंगा पीड़ितों के आंसू पोछना आदि इसमें हैं.
आईआरसीटीसी की ओर से भेजे गये इस ई-मेल पर लोगों ने प्रतिक्रियाएं भी देनी शुरू कर दी हैं. कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की है और कहा है कि पार्टी विशेष के प्रचार प्रसार के लिए क्या आईआरसीटीसी ने हमारे डेटा को सार्वजनिक कर दिया है. एक अन्य यूजर ने कहा कि सरकार अपनी बात रखने के लिए डिजिटल माध्यम और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है. आश्चर्य है सरकार किसानों की बात क्यों नहीं मान रही है.
Posted By: Amlesh Nandan.