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आपात सेवा में लगे वाहनों को जाने दिया जा रहा है
यह प्रदर्शन सुबह 11बजे शुरू हुआ जो अपराह्न चार बजे तक चलेगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक्सप्रेस-वे बाधित करने का आह्वान किया था. कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे 136 किलोमीटर लंबा है. भारतीय किसान यूनियन (दाकुंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि हम केएमपी को बाधित करेंगे लेकिन आपात सेवा में लगे वाहनों को जाने दिया जाएगा.
सिरसा कट पर जाम
ग्रेटर नोएडा की बात करें तो यहां भी अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के सिरसा कट पर जाम लगाते नजर आ रहे हैं. किसान भारी वाहनों को नहीं निकलने दे रहे हैं जबकि जरूरतमंद लोगों किसान नहीं रोक रहे हैं.
केएमपी और केजीपी पर जाम
सोनीपत में हजारों आंदोलनकारियों ने केएमपी और केजीपी पर जाम लगा दिया है. इस दौरान दोनों हाईवे के जीरो प्वाइंट पर चढ़ने और उतरने वाले वाहनों को रोक दिया है.
वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जाम
हरियाणा के पलवल में किसानों ने वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जाम किया. किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर 'काला दिवस' किसान मना रहे हैं .
कुंडली में एक्सप्रेसवे जाम
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कुंडली में एक्सप्रेसवे जाम किया. किसानों ने आज सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को जाम करने की घोषणा की है.
किसी भी वाहन को नहीं निकलने दिया जाएगा
किसान संगठनों ने गुरूवार को ऐलान किया कि 6 मार्च को सुबह 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक कुंडली, मानेसर पलवर पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को जाम करेंगे. इस दौरान किसी भी वाहन को नहीं निकलने दिया जाएगा. इसके अलावा डासना, दुहाई, बागपत, दादरी,ग्रेटर नोएडा पर जाम किया जाएगा. सभी किसान काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. टोल प्लाजा भी फ्री किये जाएंगे.
महिला किसान भी बड़ी संख्या
आंदोलन में महिला किसान भी बड़ी संख्या में पहुंच रही हैं और आठ मार्च को अंतरराष्ट्री महिला दिवस पर इस आंदोलन में महिलाओं के योगदान के प्रतीक के तौर पर पुरुष प्रदर्शन स्थलों की कमान व प्रबंधन महिलाओं के हाथों में सौंपेंगे.
किसानों से पंगा न लें
इस आंदोलन ने किसानों को कैसे देश के सियासी परिदृश्य में एक बार फिर अहमियत दिलाई इस बारे में स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव कहते हैं कि आंदोलन एक बार फिर सियासी परिदृश्य में किसानों की अहमियत को रेखांकित कर रहा है. किसान एक बार फिर नजर आ रहे हैं. इसने प्रत्येक राजनेता को एक सबक सिखाया है- किसानों से पंगा न लें...
11 बजे से 4 बजे तक जाम
किसान किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वो आज केएमपी यानी कुंडली, मानेसर पलवर पेरिफेरल को 11 बजे से 4 बजे तक जाम करेगा.
टोल प्लाजा भी फ्री
डासना, दुहाई, बागपत, दादरी,ग्रेटर नोएडा पर किसान जाम करेंगे. सभी किसान काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे. टोल प्लाजा भी फ्री किये जाएंगे.
हम मजबूत हो रहे हैं
केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का शनिवार को सौवां दिन है और इस मौके पर किसान नेताओं ने कहा कि उनका आंदोलन खत्म नहीं होने जा रहा और वे “मजबूती से बढ़” रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस लंबे आंदोलन ने एकता का संदेश दिया है और “एक बार फिर किसानों को सामने लेकर आया” है और देश के सियासी परिदृश्य में उनकी वापसी हुई है.
किसान डटे
अपको बता दें कि बीते करीब तीन महीनों से दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान डटे हुए हैं. इन किसानों में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हैं.
राकेश टिकैत ने कहा
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक जरूरत होगी वे प्रदर्शन जारी रखने के लिये तैयार हैं. इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे किसान नेताओं में से एक टिकैत ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि हम पूरी तरह तैयार हैं। जब तक सरकार हमें सुनती नहीं, हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, हम यहां से नहीं हटेंगे. सरकार और किसान संघों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद दोनों पक्ष किसी समझौते पर अब तक नहीं पहुंच पाए हैं और किसानों ने तीनों कानूनों के निरस्त होने तक पीछे हटने से इनकार किया है.
मोदी सरकार ने क्या कहा
गौर हो कि सितंबर में बने इन तीनों कृषि कानूनों को केंद्र कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रहा है जिससे बिचौलिये खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे. वहीं दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जाहिर की है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सुरक्षा और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी जिससे वे बड़े कॉरपोरेट की दया पर निर्भर हो जाएंगे.
दो मांगों पर सहमति
किसानों की चार में से दो मांगों- बिजली के दामों में बढ़ोतरी वापसी और पराली जलाने पर जुर्माना खत्म करने- पर जनवरी में सहमति बन गई थी लेकिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर बात अब भी अटकी हुई है. किसान नेताओं के मुताबिक, हालांकि शनिवार को 100 दिन पूरा कर रहे इस आंदोलन ने तात्कालिक प्रदर्शन से कहीं ज्यादा अर्जित किया है. उनका कहना है कि इसने देश भर के किसानों में एकजुटता की भावना जगाई है और खेती में महिलाओं के योगदान को मान्यता दिलाई है.
Posted By : Amitabh Kumar