किसान नेताओं ने सोमवार को कहा कि यदि सरकार अथवा उच्चतम न्यायालय तीन नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा देता है, तब भी वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे. किसान नेताओं ने अपनी निजी राय बताते हुए कहा कि रोक लगाना कोई समाधान नहीं है और वैसे भी यह तय वक्त के लिये होगी.
उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया है कि वह विवादित कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा सकता है और मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान तलाशने के लिये केन्द्र को और समय देने से इनकार कर सकता है, जिसपर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेताओं ने ये बातें कहीं हैं. अदालत ने कहा कि वह पहले ही केन्द्र सरकार को काफी समय दे चुकी है.
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, हम उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों का स्वागत करते हैं, लेकिन प्रदर्शन खत्म करने का कोई विकल्प नहीं है. कोई भी रोक तय समय तक के लिये होगी…उसके बाद फिर यह मामला अदालत में चला जाएगा. उन्होंने कहा कि किसान चाहते हैं कि कानूनों को पूरी तरह वापस लिया जाए.
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यदि सरकार या उच्चतम न्यायालय कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा भी देता है, तब भी आंदोलन चलता रहेगा. भारतीय किसान यूनियन (मनसा) के अध्यक्ष भोग सिंह मनसा ने कहा कि कानूनों पर रोक लगाने का कोई फायदा नहीं’ है. उन्होंने कहा, रोक कोई समाधान नहीं है. हम यहां कानूनों को पूरी तरह निरस्त कराने आए हैं…सरकार यह कहकर पहले ही कानून निरस्त करने पर सहमत हो गई है कि वह किसानों की मांगों के मुताबिक कानूनों में संशोधन करने की इच्छुक है.
मनसा ने कहा, हम उच्चतम न्यायालय से इन कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की अपील करते हैं क्योंकि ये संवैधानिक रूप से वैध नहीं हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक इन कानूनों को निरस्त नहीं कर दिया जाता या भाजपा सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता. पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुल्दु सिंह मनसा ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आंदोलन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ शुरू हुआ था और यह तभी खत्म होगा जब हम अपनी लड़ाई जीत लेंगे.
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि किसान नेता अपने वकीलों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं और उच्चतम न्यायालय को फैसला सुनाने के बाद औपचारिक जवाब दिया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने किसानों के आंदोलन को संभालने के तरीके को लेकर केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए सोमवार को कहा कि उनके बीच जिस तरह से वार्ता चल रही है वह बेहद निराशाजनक है और गतिरोध को खत्म करने के लिये भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में समिति का गठन किया जाएगा.
Posted By – Arbind kumar mishra