कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के कारण दिल्ली बाॅर्डर पर रोड ब्लाॅक की समस्या के निदान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्यों को निर्देश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पक्ष रखने के लिए मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि मिस्टर मेहता ये क्या हो रहा है, आप समाधान क्यों नहीं खोज सकते?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश मुखर्जी की पीठ ने कहा कि सरकार को इस समस्या का समाधान तलाशना होगा. कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें एक निर्धारित स्थल पर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए ताकि यातायात बाधित ना हो और आम नागरिक को उससे परेशानी ना हो.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यातायात बाधित कर विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है. इससे टोल टैक्स की वसूली पर भी असर पड़ेगा क्योंकि सड़क जाम है और यातायात बाधित है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सहित संबंधित राज्य सरकारों को यह आदेश दिया है कि वे इस समस्या का समाधान निकालें, ऐसा संभव नहीं है कि यातायात को बाधित होने दिया जाये. मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को निर्धारित की गयी है.
कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए नवंबर 2020 से किसान दिल्ली के बाॅर्डर पर धरना दे रहे हैं. वे सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाये, लेकिन सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है. सरकार का कहना है कि हम किसानों के अनुसार उसमें संशोधन कर सकते हैं किसान खराबी तो बताये, लेकिन किसान कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जिसकी वजह से बातचीत नहीं हो पा रही है. पहले जितनी बार वार्ता हुई उसका कोई नतीजा नहीं निकला है.
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Posted By : Rajneesh Anand