केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 40 दिनों से जमे किसानों के बीच एक दुखद खबर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिंघू बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है. बताया जा रहा है कि किसान को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.
मालूम हो दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर आंदोलन कर रहे 40 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. लेकिन अब तक किसानों और सरकार के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. 8वें दौर की वार्ता भी विफल रही है. किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर जमे हुए हैं.
सिंघू बार्डर पर किसानों की काउंसलिंग सत्र
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के तहत दिल्ली की सीमाओं पिछले करीब 40 दिनों से डटे रहने के दृढ़ संकल्प के बावजूद कई प्रदर्शनकारी चिंता एवं अवसाद से ग्रहित हो रहे हैं तथा कुछ किसानों की इस कड़ाके की ठंड में कथित तौर पर मौत हो गई है.
किसानों को अवसाद से बाहर निकालने और उनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ ‘यूनाइटेड सिख’ ने सिंघू बॉर्डर स्थित प्रदर्शन स्थल के हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है. शिविर में आने वालों में बेचैनी, सिरदर्द सामान्य लक्षण देखे जा रहे हैं. काउंसलिंग का उद्देश्य किसानों को नकारात्मक विचार करने से रोकना है.
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से अधिक समय से जारी आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की वार्ता भी शुक्रवार को समाप्त हो गई, लेकिन नतीजा सिफर रहा. सरकार ने कानूनों को निरस्त करने की मांग खारिज कर दी तो किसानों ने कहा कि उनकी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी और घर वापसी तभी होगी जब इन कानूनों को वापस लिया जाएगा. अब अगली बैठक 15 जनवरी को होगी. विज्ञान भवन में हुई बैठक सिर्फ दो घंटे चली और इसमें भी चर्चा सिर्फ एक घंटे ही हो सकी. इसके बाद किसान नेताओं ने हाथों में जीतेंगे या मरेंगे लिखी तख्तियां लेकर मौन धारण कर लिया.
Posted By – Arbind kumar mishra