सुखबीर सिंह बादल का पीएम से अनुरोध, किसानों की मांगों को स्वीकार करते हुए नए कृषि कानूनों को रद्द करें केंद्र
Farmers Protest पंजाब विधानसभा चुनावों की दस्तक के साथ ही किसानों के आंदोलन को लेकर प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. इसी कड़ी में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के मद्देनजर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
Farmers Protest पंजाब विधानसभा चुनावों की दस्तक के साथ ही किसानों के आंदोलन को लेकर प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. इसी कड़ी में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के मद्देनजर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को कहा कि मैं पीएम मोदी से अनुरोध करना चाहता हूं कि वह अपना अहंकार छोड़ दें और किसानों की मांगों को स्वीकार करें और तीन कानूनों को निरस्त करें. ताकि किसानों की जान बचाई जा सके.
I want to request PM Modi to leave his arrogance and accept farmer's demands & repeal the three laws. So that the lives of farmers could be saved: SAD president Sukhbir Singh Badal pic.twitter.com/bZinAkn5oI
— ANI (@ANI) October 4, 2021
वहीं, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल लगातार जनता के बीच जाकर अपने दल की नीतियों का प्रचार-प्रसार करने में जुट गए हैं. सोमवार को वह लुधियाना पहुंचे और लोगों के मुद्दों को समझा. उन्होंने लोगों को सभी समस्याओं के समाधान का भरोसा दिया है. इस दौरे की शुरुआत सुखबीर बादल ने चंडीगढ़ रोड स्थित सेक्टर 39 स्थित राम दरबार मंदिर में माथा टेककर प्रभु श्री राम का आशीर्वाद लेकर की. मंदिर कमेटी की ओर से उनको सम्मानित किया गया. सुखबीर बादल ने मंदिर परिसर में ही उद्यमियों, प्रापर्टी डीलरों एवं आम लोगों से बातचीत की और उनकी तकलीफों को जाना.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के बाद पिछले वर्ष नवंबर से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में किसानों का विरोध लगातार जारी है. सरकार का कहना है कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में ये बदलाव जरूरी हैं और इन कानूनों से खेती में सुधार और नई तकनीक आएगी, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि इनके कारण किसानों की पहले से ही कम आमदनी खतरे में आ आएगी और कंपनियों का शिकंजा कस जाएगा.