दिल्ली के बॉर्डरों पर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 22वें दिनों से हजारों किसान जमे हुए हैं. सरकार के साथ किसानों की अब तक सहमति नहीं बन पायी है. किसान कृषि कानूनों के रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. इधर इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अहम बैठक हुई. जिसमें किसानों को प्रदर्शन पर रोक से कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया और केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि फिलहाल इन तीन विवादास्पद कानूनों पर अमल स्थगित कर दे. कोर्ट ने कहा, इस गतिरोध को दूर करने के लिए कृषि विशेषज्ञों की एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ समिति गठित करने पर विचार किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमाओं पर डटे आंदोलनकारी किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि क्या केंद्र सरकार हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों पर तब तक रोक लगा सकती है, जब तक कि अदालत इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेती?
पीठ ने कहा कि केन्द्र द्वारा इन कानूनों के अमल को स्थगित रखने से किसानों के साथ बातचीत में मदद मिलेगी. हालांकि, अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस सुझाव का विरोध किया और कहा कि अगर इन कानूनों का अमल स्थगित रखा गया तो किसान बातचीत के लिये आगे नहीं आयेंगे. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केन्द्र से इन कानूनों पर अमल रोकने के लिये नहीं कह रही है बल्कि यह सुझाव दे रही है कि फिलहाल इन पर अमल स्थगित रखा जाये ताकि किसान सरकार के साथ बातचीत कर सकें.
प्रदर्शन के अधिकार का मतलब पूरे शहर को अवरूद्ध कर देना नहीं
कोर्ट ने किसानों को विरोध प्रदर्शन करने से रोक से इनकार कर दिया, लेकिन कहा, विरोध प्रदर्शन के अधिकार का मतलब पूरे शहर को अवरूद्ध कर देना नहीं हो सकता है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि उसका यह भी मानना है कि विरोध प्रदर्शन करने का किसानों के अधिकार को दूसरों के निर्बाध रूप से आने जाने और आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करने के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए.
किसानों के प्रदर्शन से कोर्ट चिंतित
किसानों के प्रदर्शन पर कोर्ट ने कहा, हम किसानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. हम भी भारतीय हैं लेकिन हम ये चीजें जो शक्ल ले रही हैं उसे लेकर चिंतित हैं. पीठ ने कहा, विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान भीड़ नहीं हैं.
posted by – arbind kumar mishra