श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने फिर तालिबान को मान्यता देने और उसके साथ संबंध स्थापित करने की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश किया है. अब तालिबान की सरकार वहां सत्ता में है. ऐसे में तालिबान सरकार के साथ बातचीत करने में हर्ज क्या है.
यह पहला मौका नहीं है, जब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने तालिबान को मान्यता दिये जाने और उससे बातचीत शुरू करने की वकालत की हो. नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे सीनियर लीडर फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा था कि अफगानिस्तान में अब तालिबान की सरकार बन चुकी है. दुनिया को उसे मान्यता देना चाहिए.
Taliban is in power in Afghanistan now. India spent billions on different projects during the last regime in Afghanistan. We should talk to the current Afghan regime. When we've invested so much in the country so what's the harm in keeping relations with them?: Farooq Abdullah,NC pic.twitter.com/nwluRb4Uso
— ANI (@ANI) September 25, 2021
उन्होंने भारत सरकार से भी कहा था कि वह अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने वाली नयी तालिबान सरकार के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि अब अफगानिस्तान में तालिबान पावर में है. भारत ने अफगानिस्तान में पिछले एक दशक में अरबों रुपये खर्च किये हैं. अब जबकि वहां की सरकार बदल गयी है, तो नयी सरकार के साथ संबंध बनाने में बुराई ही क्या है. इससे हमारा क्या नुकसान हो जायेगा.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की मदद से तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. 15 अगस्त को तालिबान ने बिना किसी खून-खराबा के अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. इससे पहले वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी रुपये और अन्य संपत्ति के साथ देश छोड़कर भाग गये थे. उन्होंने यूएई में शरण ली और वहां से बयान जारी कर कहा कि देश को खून-खराबा से बचाने के लिए उन्होंने देश छोड़ा है.
दूसरी तरफ, उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित करते हुए एलान किया कि वह आखिरी सांस तक तालिबान के खिलाफ लड़ते रहेंगे. साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान की जनता से भी अपील की कि वे आतंकवादी सरकार का विरोध करें. इसके बाद पंजशीर में नॉर्दर्न फ्रंट के लड़ाकों ने तालिबान को परेशान कर दिया था.
तालिबान जब पंजशीर में अफगानिस्तान के लड़कों से संघर्ष कर रहा था और जीत नहीं पा रहा था, तब पाकिस्तान कि इमरान खान सरकार ने उसकी भरपूर मदद की. इमरान खान की सरकार के सैन्य हेलीकॉप्टर ने पंजशीर की पहाड़ियों पर बमवर्षा करके नॉर्दर्न फ्रंट को कमजोर कर दिया. तालिबान की सरकार बनवाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ अफगानिस्तान भी गये थे.
अफगानिस्तान में हथियारबंद तालिबान सरकार को मान्यता देने वालों में भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन सबसे आगे थे. भारत सरकार ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है. भारत सरकार का स्पष्ट मत है कि जनता की इच्छा के अनुरूप जो सरकार अफगानिस्तान में बनेगी, उसे ही मान्यता दी जायेगी. एक दिन पहले ही इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगायी थी.
Posted By: Mithilesh Jha