श्रीनगर : कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ रिलीज होने के बाद चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रहे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है. बीते 11 मार्च को रिलीज हुई ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म ने जहां एक ओर लोगों को हिलाकर रख दिया है, वहीं देश की सियासत में उबाल आ गया है. 1990 के दशक में कश्मीर में हिंदुओं के हुए नरसंहार और पलायन के लिए भारतीय राजनीति का एक वर्ग जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को दोषी ठहरा रहा है.
खुद पर लग रहे आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि अगर 1990 के दशक के दौरान जम्मू-कश्मीर में हुए नरसंहार के लिए उन्हें दोषी पाया जाता है, तो उन्हें कहीं भी फांसी पर लटका दिया जाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे हमेशा तैयार हैं. इंडिया टुडे समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यदि आप कमेटी बनाकर किसी ईमानदार जज को नियुक्त कर जांच कराएं तो सच बाहार आ जाएगा. उन्होंने कहा कि आप जान जाएंगे कि इसके लिए जिम्मेदार कौन था.
इसके साथ ही, फारूक अब्दुल्ला ने आगे यह भी कहा, ‘अगर फारूक अब्दुल्ला दोषी पाया जाता है, तो वह कहीं भी फांसी पर लटकने को तैयार है.’ उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए ट्रायल के लिए भी तैयार हूं, लेकिन उन लोगों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए, जिसका इससे कोई लेना-देना नहीं है. कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के मामले में उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं मानता कि इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं.’ उन्होंने कहा कि अगर लोग सच को जानना चाहते हैं, तो सबसे पहले उन्हें उस समय के आईबी चीफ से बात करनी होगी. इसके साथ ही, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से भी लोग जानकारी ले सकते हैं. आरिफ मोहम्मद खान उस समय केंद्रीय मंत्री थे.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि 1990 में जो कुछ हुआ, उसका सच सामने आना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए आयोग का गठन किया जाना चाहिए. उस दौर में सिखों और मुस्लिमों के साथ क्या हुआ, यह भी सामने आना चाहिए. उन्होंने कहा कि खुद मेरे विधायकों, मंत्रियों और कार्यकर्ताओं ने पेड़ों पर लटके हुए शवों को नीचे उतारा था.
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बॉलीवुड निदेशक विनोद रंजन अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह केवल एक प्रोपेगेंडा है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में उस ट्रेजडी के केवल एक ही पार्ट को दिखाया गया है, जिसमें हिंदू और मुसलमान दोनों को झेलना पड़ा. उस घटना को लेकर आज भी मेरा दिल रोता है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों में कुछ लोग ऐसे भी थे, जो नरसंहार पर भरोसा करते थे.