नयी दिल्ली : पेरिस में फाइनेंशियल ऐक्शन टॉस्क फोर्स की हुई ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को एक बार फिर ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर मुहर लगायी गयी है. पाकिस्तान निर्धारित 27 मापदंडों में से तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को पूरा करने में अब तक विफल रहा है.
मालूम हो कि पाकिस्तान लंबे समय से ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. आतंकवादियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण अब पाकिस्तान जून, 2021 तक एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा.
एफएटीएफ ने गुरुवार को कहा है कि पाकिस्तान ने तय समयसीमा में 27 में से 24 कार्य योजनाओं को ही पूरा किया है. पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए अपनी कार्ययोजना में तीन बिंदुओं पर काम करना जारी रखना चाहिए.
एफएटीएफ के प्रमुख मार्कस प्लीयर के मुताबिक, पाकिस्तान अब भी निगरानी में पाकिस्तान ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं, लेकिन टेरर फाइनेंसिंग को लेकर अब भी कई खामियां हैं. मालूम हो कि अक्टूबर, 2021 में हुई एफएटीएफ की पिछली बैठक में भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया था.
आतंकवाद को फंडिंग करने पर नजर रखनेवाली वैश्विक एजेंसी एफएटीएफ ने साल 2008 में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था. एक रिसर्च पेपर में दावा किया है कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाले जाने से पाकिस्तान की जीडीपी को करीब 38 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है.