फादर स्टेन स्वामी की तबीतय अचानक ज्यादा बिगड़ गयी है. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. वह 30 मई से मुंबई के अस्पताल में भर्ती है. स्टेन स्वामी को लेकर कई जगहों पर आ रही रिपोर्ट के अनुसार उनकी सेहत में सुधार के लिए डॉक्टर लगातार प्रयास कर रहे हैं.
3 जुलाई को उनके वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट में यह जानकारी दी कि स्टेन स्वामी की सेहत में सुधार नहीं है उन्हें आईसीयू में रखा गया है, रविवार की रात उनकी सेहत ज्यादा खराब हुई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. उन्हें सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनके ऑक्सीजन लेवल में लगातार उतार चढ़ाव जारी है. कोरोना संक्रमण की वजह से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा है. इस वजह से यह हो सकता है.
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इस मामले पर पीटीआई ने खबर दी है कि NHRC ने शिकायत की जांच करते हुए फादर स्टेन स्वामी (84 साल) के स्वास्थ्य को लेकर आज महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी किया है. इनकी सेहत में सुधार के लिए बेहतर प्रयास करने को कहा गया है.
उन्होंने बताया कि NHRC ने यह नोटिस 16 मई को मिली शिकायत के बाद भेजा है शिकायत में कोविड के दौरान मेडिकल ट्रीटमेंट से वंचित रखे जाने की जानकारी मिली थी. जेल में उनकी ठीक से देखभाल नहीं हुई और अबतक वैक्सीन लगाया गया.
स्टेन स्वामी को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बॉम्बे हाईकर्ट में स्वामी स्टेन स्वामी की जमानत याचिका पर भी सुनवाई चल रही है. सेहत के आधार पर उन्होंने जमानत की याचिका दायर की थी जिसे विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 6 जुलाई तय किया था.
स्टेन स्वामी को 8 अक्टूबर 2020 को कोरेगांव केस में संलिप्तता के आरोप में झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र अंतर्गत बगइचा स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था. उन पर भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को भड़काने का आरोप लगा था.
इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया. लंबे समय से स्टेन स्वामी महाराष्ट्र पुलिस और एनआइए के रडार पर थे. वर्ष 2018 में पुणे की पुलिस ने भी उनसे रांची में पूछताछ की थी. वर्ष 2018 से अब तक कई बार एनआइए ने भी उनसे पूछताछ की है. एनआइए पहले भी उनसे 15 घंटे तक पूछताछ कर चुकी है. 27 जुलाई से 30 जुलाई और 6 अगस्त को कुल मिलाकर 15 घंटे तक जांच एजेंसी ने उनसे पूछताछ की.आठ महीनों से भी ज्यादा वक्त से वह मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. उन्हें पार्किंसन्स नामक बीमारी भी है. इस बीमारी की वजह से उन्हें सुनने में परेशानी होती है.
84 साल के स्टेन स्वामी को ढलती उम्र के साथ कई तरह की परेशानियां हैं इससे पहले भी 21 मई को उनकी सेहत खराब हुई थी उन्होंने उस वक्त अस्पताल जाने से इनकार कर दिया था. स्वामी ने हाइकोर्ट से कहा कि वो अस्पताल में शिफ्ट होने की बजाय जेल में मरना पसंद करेंगे. उन्होंने कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहाई की अपील की थी स्वामी ने कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहा किए जाने की अपील की.
स्टेन स्वामी की पहचान झारखंड में आदिवासियों के अधिकार की रक्षा के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है. वर्ष 1996 में पूर्वी सिंहभूम के जादूगोड़ा स्थित यूरेनियम कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड की वजह से आदिवासी बहुल इलाकों में फैलने वाले रेडियेशन के खिलाफ शुरू हुए अभियान झारखंड ऑर्गेनाइजेशन अगेंस्ट यूरेनियम रेडियेशन (JOAR) का भी वह हिस्सा थे. इतना ही नहीं, फादर स्वामी बोकारो, संथाल परगना और कोडरमा के विस्थापितों के कल्याण और उनके अधिकारों के लिए भी लड़ते रहे हैं.