FCI:देश में हर साल उचित रखरखाव के अभाव में हजारों टन अनाज बर्बाद हो जाता है. हालांकि सरकार की ओर से भंडारण क्षमता बढ़ाने के कई उपाय किए गए हैं. लेकिन अभी भी हर साल पर्याप्त भंडारण के अभाव में अनाज, सब्जी और फल बर्बाद हो जाते हैं. शुक्रवार को इस बाबत केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(एफसीआई) के बीच मौजूदा वित्त वर्ष के लिए एक अहम समझौता हुआ है. समझौते के तहत खाद्य के खरीद और वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का काम किया जायेगा. साथ ही फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के गोदाम के कामकाज का मानक तय किया जायेगा. इससे संस्था के काम की जवाबदेही तय होगी और सार्वजनिक फंड का बेहतर उपयोग हो सकेगा, जिससे खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. कामकाज के मानक के तहत गोदाम की कार्यक्षमता, ऑपरेशनल नुकसान, सुरक्षा के उपाय, आधुनिकीकरण और ऑटोमेशन के कामकाज की समीक्षा होगी.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहतर करना है लक्ष्य
समझौते का मकसद सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था को जवाबदेह और पारदर्शी बनाना है. फूड सब्सिडी पर सरकार का खर्च लगातार बढ़ रहा है ऐसे में इस फंड का प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सके और फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के गोदामों की क्षमता का विकास को प्राथमिकता देने के लिए यह समझौता कारगर साबित हो सकता है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का गठन 1965 में संसद द्वारा बनाये गये कानून के तहत किया गया है. इसका मुख्य काम अनाज की खरीद, भंडारण, वितरण और परिवहन का है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सालाना 40-50 मिलियन टन चावल और गेहूं की स्टोरेज करता है. गौरतलब है कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के कामकाज में व्यापक बदलाव लाने के लिए वर्ष 2015 में पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था. समिति ने कामकाज में बदलाव लाने के लिए कई अहम सिफारिशें की थी.